नया सबेरा नेटवर्क
वाराणसी : लेखिका एवं समाज सेवी अलका पांडेय के प्रथम कविता संग्रह 'एक अकेली औरत' पर वाराणसी की साहित्यिक संस्था कविशाला परिवार के तत्त्वावधान एवं कवि कन्हैया मिश्र के संयोजन में गूगलमीट पर ऑनलाइन परिचर्चा का सफल आयोजन हुआ। कार्यक्रम का आरम्भ पवन तिवारी द्वारा सरस्वती वंदना के साथ आरम्भ हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महाप्राण निराला की धरती उन्नाव से वरिष्ठ साहित्यकार डॉ गणेश नारायण शुक्ल थे। मुख्य वक्ता के रूप में प्रखर चिंतक एवं स्वतंत्रता आंदोलन के अग्रणी नायक राम मनोहर लोहिया की धरती अम्बेडकर नगर से युवा साहित्यकार पवन तिवारी थे। विशेष अतिथि के रूप में मुम्बई से चिंतन दिशा के संपादक एवं वरिष्ठ साहित्यकार हृदयेश मयंक, मुम्बई से ही अनुवादक एवं लेखक रमेश यादव, बेंगलुरु से बाल्डविन महिला महाविद्यालय की हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कवयित्री उषारानी राव ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम का सफल संचालन कवयित्री एवं शिक्षाविद भारती श्रीवास्तव ने किया। इस अवसर पर अपने लेखकीय वक्तव्य में अलका पांडेय ने समाज सेवा से इतर साहित्यिक यात्रा की शुरुआत और फिर 'एक अकेली औरत' कविता संग्रह के प्रकाशन यात्रा पर अपनी बात बड़ी सहजता से रखी। जिसमें उन्होंने कवि त्रिलोचन सिंह अरोरा का धन्यवाद दिया।जिन्होंने उनके कविता लिखने के लिए प्रेरित किया। इसके साथ ही कुमार जैन ने भी उन्हें लेखन के प्रति उत्साहित किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ गणेश नारायण शुक्ल ने कहा कि अलका पांडेय की कविताओं सहजता है। यह शिल्प, व्यंजना एवं साहित्यिक कलाबाजियों आदि के अतिरेकों से मुक्त विशुध्द कविता है। इसमें कवि की मौलिकता झलकती है। मुख्य वक्ता पवन तिवारी ने उनकी कविताओं में नारी समवेत के साथ वृहत्तर समाज की चिंताओं के रेखांकन को महत्त्वपूर्ण बताया। उषारानी राव ने उनकी कविताओं में सामाजिक चेतना के विस्तार को रेखांकित किया। वहीं हृदयेश मयंक ने उनकी कविताओं को कोमल भावनाओं एवं स्त्री उपेक्षा का सच्चा प्रतिबिम्ब बताया। रमेश यादव ने उनकी रचनाओं के संदर्भ में कहा कि अलका पांडेय की रचनाओं में कहीं कहीं कच्छाओं है। किंतु कुछ रचनायें बेहद अच्छी हैं। जिनका भविष्य उज्ज्वल है।
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