नया सबेरा नेटवर्क
हिन्दी साहित्याकाश के अद्भुत, अपूर्व, अविस्मरणीय, चिरदीप्तिमान नक्षत्र, महान् घुमक्कड़, महाज्ञानी, महापंडित राहुल सांकृत्यायन जी की आज जन्म जयंती है। उनका साहित्य सृजन अपनी विपुलता में इतना विस्तृत है कि उसे आसानी से समेट पाना मुश्किल है। वे एक अद्भुत यायावर होने के साथ-साथ बहुभाषाविद, गहन अनुसंधेता, दार्शनिक, इतिहासकार, कथाकार, यात्रा वृत्तांत साहित्यिक विधा के पितामह थे। वे विपुल साहित्य के समर्थक थे। उनकी महत्वपूर्ण कृतियां "वोल्गा से गंगा", "जय यौधेय", "सिंह सेनापति", "दिवोदास", "मध्य एशिया का इतिहास," "बौद्ध दर्शन", "विश्व की रूपरेखा", "दर्शन दिग्दर्शन", "वैज्ञानिक भौतिकवाद", "इस्लाम धर्म की रूपरेखा", "मेरी लद्दाख यात्रा", "मेरी चीन यात्रा","रूस में पच्चीस मास", "हिन्दी काव्य धारा", "दक्खिनी हिन्दी काव्य धारा", "सरहपाद दोहा कोश","भागो नहीं दुनियां को बदलो", "घुमक्कड़ शास्त्र" आदि महत्वपूर्ण कृतियां हैं।
"सैर कर दुनिया की गाफिल जिंदगानी फिर कहां,
जिंदगी गर कुछ रही तो नौजवानी फिर कहां।"
ओ अद्भुत, अपूर्व, अविस्मरणीय यायावर! तुम्हें कोटिश: नमन
- डॉ. मधु पाठक
असिस्टेंट प्रोफेसर - हिंदी विभाग
राज कॉलेज, जौनपुर
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