पत्रकारों को किया गया सम्मानित
तेजीबाजार, जौनपुर। क्षेत्र के केवटली में अयोध्या से पधारे कथा व्यास निर्मल शरण जी महराज के मुखारविंद से अमृतमयी कथा का रसपान क्षेत्रवासी कर रहे हैं। व्यास जी प्रसंग में बताया कि भरत मामा के घर से आने के बाद सीधे माता कैकई और राम भैया को ढूंढते हुए उनके कक्ष में जाते हैं। उन्हें इसका आभास तक न होने दिया कि उनके प्राणप्रिय भैया और भाभी 14 वर्ष के वनवास को अयोध्या से निकल गए। जानकारी होते ही वे रोते बिलखते और कैकई माता को कोसते हुए कहते हैं पुत्र कुपुत्र हो सकता है मगर माता कुमाता नहीं होती। इस बात को तुमने सिद्ध किया है माता कुमाता होती है। यह कलंक यह पाप मेरे सर पर लगा। लोग क्या कहेंगे? भरत ने अपने भाई को राजगद्दी के लिए वनवास करा दिया। तभी कौशल्या और सुमित्रा दोनों भरत को समझाती है कि पिताजी अब इस दुनिया में नहीं रहे।
व्यास निर्मल शरण महाराज जी ने अपने संगीत की धुन से सभी भक्तगणों को भाव विभोर कर दिया। कथा का रसपान करने वाले सभी भक्त गणों को नंदलाल मोदनवाल (नंदा) आभार प्रकट किए और नंदलाल मोदनवाल (नंदा) क्षेत्र में होने वाले धार्मिक कार्यों में यथा शक्ति सहयोग भी करते है। नंदलाल मोदनवाल ने परिवारजनों के साथ सम्मानित व्यक्तियों के साथ पत्रकारों को भी अंगवस्त्र, पुष्पगुच्छ और रामलला की प्रतिमा देकर सम्मानित किए। संचालन शुभम काशी ने किया। इस मौके पर यज्ञाचार्य पं. अखिलेश चंद्र मिश्र, आचार्य अरुण दुबे, खजांची लाल मोदनवाल, अशोक मोदनवाल, भोला प्रसाद सेठ, शिव पूजन सेठ, जयनारायण दुबे, धर्मराज मिश्र सहित सैकड़ों की संख्या में कथाप्रेमी उपस्थित रहे।
तेजीबाजार, जौनपुर। क्षेत्र के केवटली में अयोध्या से पधारे कथा व्यास निर्मल शरण जी महराज के मुखारविंद से अमृतमयी कथा का रसपान क्षेत्रवासी कर रहे हैं। व्यास जी प्रसंग में बताया कि भरत मामा के घर से आने के बाद सीधे माता कैकई और राम भैया को ढूंढते हुए उनके कक्ष में जाते हैं। उन्हें इसका आभास तक न होने दिया कि उनके प्राणप्रिय भैया और भाभी 14 वर्ष के वनवास को अयोध्या से निकल गए। जानकारी होते ही वे रोते बिलखते और कैकई माता को कोसते हुए कहते हैं पुत्र कुपुत्र हो सकता है मगर माता कुमाता नहीं होती। इस बात को तुमने सिद्ध किया है माता कुमाता होती है। यह कलंक यह पाप मेरे सर पर लगा। लोग क्या कहेंगे? भरत ने अपने भाई को राजगद्दी के लिए वनवास करा दिया। तभी कौशल्या और सुमित्रा दोनों भरत को समझाती है कि पिताजी अब इस दुनिया में नहीं रहे।
व्यास निर्मल शरण महाराज जी ने अपने संगीत की धुन से सभी भक्तगणों को भाव विभोर कर दिया। कथा का रसपान करने वाले सभी भक्त गणों को नंदलाल मोदनवाल (नंदा) आभार प्रकट किए और नंदलाल मोदनवाल (नंदा) क्षेत्र में होने वाले धार्मिक कार्यों में यथा शक्ति सहयोग भी करते है। नंदलाल मोदनवाल ने परिवारजनों के साथ सम्मानित व्यक्तियों के साथ पत्रकारों को भी अंगवस्त्र, पुष्पगुच्छ और रामलला की प्रतिमा देकर सम्मानित किए। संचालन शुभम काशी ने किया। इस मौके पर यज्ञाचार्य पं. अखिलेश चंद्र मिश्र, आचार्य अरुण दुबे, खजांची लाल मोदनवाल, अशोक मोदनवाल, भोला प्रसाद सेठ, शिव पूजन सेठ, जयनारायण दुबे, धर्मराज मिश्र सहित सैकड़ों की संख्या में कथाप्रेमी उपस्थित रहे।
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