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जौनपुर सिटी : विश्व स्तनपान सप्ताह : स्तनपान से बच्चों में बढ़ जाती प्रतिरोधक क्षमता


  • जन्म से एक घंटे के अंदर पिलाएं मां का पहला दूध : डॉ. शिखा शुक्ला
  • टीआरएस हास्पिटल पर आयोजित गोष्ठी में किया गया जागरूक

जौनपुर। विश्व स्तनपान सप्ताह के तहत गुरुवार को तीर्थराज हास्पिटल पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता महिला रोग विशेष डा. शिखा शुक्ला ने कहा कि स्तनपान से बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। नवजात को जन्म के एक घंटे के अंदर मां का पहला दूध पिलाना अमृत के समान होता है। आधुनिकता की चकाचौंध व बदलते जीवन शैली के चलते देश में स्तनपान कराने वाली माताओं की संख्या लगातार कम होती जा रही है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालाय के सर्वे के अनुसार जन्म के एक घंटे के अंदर बच्चे को मां का पहला दूध देश में पचास प्रतिशत बच्चों को भी नहीं मिल पा रहा है। स्तनपान से होने वाले फायदे को समझाने के लिए एक से सात अगस्त तक यह सप्ताह मनाया जाता है। 


डा.शुक्ला ने कहा कि जन्म के तुरंत बाद या ज्यादा से ज्यादा घंटेभर के भीतर नवजात को स्तनपान कराया जाए तो शिशु मृत्युदर काफी कम होती है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार नवजात शिशु के लिए पीला गाढ़ा चिपचिपा युक्त मां का के स्तन का पहला दूध (कोलेस्ट्रम) संपूर्ण आहार होता है। सामान्यत: बच्चे को छह महीने की अवस्था तक नियमित रूप से स्तनपान कराते रहना चाहिए। उन्होंने बताया कि स्तनपान स्तन व डिम्बग्रंथि के कैंसर की संभावना कम करता है, इससे प्रसव पूर्व खून बहने और एनीमिया की संभावना कम हो जाती है। यह मां को पुरानी शारीरिक संरचना वापस प्राप्त करने में सहायता करता है। इतना ही नहीं स्तनपान कराने वाली माताओं में मोटापा सामान्यत: कम पाया जाता है। बाल रोग विशेषज्ञ डा. मुकेश शुक्ला बताया कि स्तपान करने वाले बच्चों में डायरिया जैसे रोग की संभावना कम होती है। मां के दूध में मौजूद तत्व बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। मां व बच्चे के बीच भावनात्मक लगाव बढ़ता है। बच्चे में कुपोषण व सूखा रोग की संभावना कम होती है। बच्चे के मस्तिष्क के विकास में स्तनपान महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। गोष्ठी में डा. तूलिका मौर्या, डा. नीलम गुप्ता, डा. वीपी गुप्ता, डा. गौरव प्रकाश मौर्य, डा. वीरेंद्र यादव सहित बड़ी संख्या में प्रसूता व अन्य महिलाएं मौजूद रहीं।

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