जौनपुर। प्राथमिक विद्यालयों में फर्जी डिग्री के सहारे सहायक अध्यापक के रुप में नौकरी कर रहे तीन शिक्षकों को मंगलवार को बीएसए डॉ. राजेंद्र सिंह ने नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया इनमें दो शिक्षक आगरा से बीएड का फर्जी अंकपत्र लगाकर तथा एक ने शासनादेश के विपरीत मृतक आश्रित कोटे से सहायक अध्यापक के रुप में नौकरी प्राप्त कर ली थी। बीतें वर्ष से इस प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच चल रही थी। अपर पुलिस महानिदेशक एसआईटी का पत्र मिलने के बाद जिले के सुइथाकला व मुंगराबादशाहपुर ब्लाक में तैनात दोनों शिक्षक और नगर क्षेत्र में कार्यरत तीसरे शिक्षक की सेवा बेसिक शिक्षाधिकारी डॉ. राजेंद्र सिंह ने समाप्त कर दी।
डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय आगरा के बीएड सत्र 2004-05 में कुछ छात्रों का अधिक परीक्षा परिणाम अंकित कर फर्जी अंक तालिकाएं वितरित की गयी थी। इस फर्जी बीएड डिग्री के आधार पर जौनपुर में भी कुछ युवक युवतियां सहायक अध्यापक की नौकरी पाने में सफल हो गये। अपर पुलिस महानिदेशक एसआईटी (विशेष अनुसंधान दल) ने पिछले दो वर्षों से की गयी सूक्ष्म जांच पड़ताल के बाद अपने पत्र में फर्जी अंक तालिकाओं के आधार पर उत्तीर्ण ऐसे ही दो छात्रों की सूची जौनपुर बीएसए डॉ. राजेंद्र सिंह को भेजी, जिन्होंने फर्जी बीएड डिग्री का सहारा लेकर सहायक अध्यापक की नौकरी हासिल कर ली थी। इनमें एक शिक्षक कुलदीप वर्मा पुत्र बदन सिंह सुइथाकला ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय कादीपुर और दूसरा शिक्षक संतोष कुमार शर्मा पुत्र हरि प्रसाद शर्मा मुंगराबादशाहपुर ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय गोधुवां में सहायक अध्यापक के रुप में तैनात है। ऐसा ही फर्जीवाड़ा नगर क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय हैदरगंज में तैनात शिक्षक अब्दुल बारी खां ने शासनादेश के विपरीत 31 दिसंबर 2009 को सहायक अध्यापक के रुप में मृतक आश्रित के तौर पर नौकरी प्राप्त कर ली थी। अब्दुल बारी खां की मां उम्मतुननिशा व पिता अब्दुल जब्बार बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक के रुप में नियुक्त थे। इस संबंध में बीएसए डॉ. राजेंद्र सिंह ने बताया कि शासनादेश चार सितंबर 2000 जारी नियमावली है कि किसी भी शिक्षक के पति-पत्नी राज्य सरकार के किसी भी कार्यालय या निगम में तैनात हैं तो उनके मृतक आश्रित को नौकरी नहीं दी जा सकती।
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