खुटहन : बेजुबानों का हाल जानने खुटहन पहुंचे एडी वाराणसी, लिया नमूना

  
खुटहन, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र के आधा दर्जन गांवों मे खुरपका, मुंहपका रोग से पीडि़त चल रहे लगभग डेढ़ सौ बेजुबान मवेशियों का हाल जानने शनिवार को संयुक्त निदेशक वाराणसी डा. आईए खान और अधीक्षक मंडलीय प्रयोगशाला डा. आरके चौरसिया सर्वाधिक प्रभावित गांव अहीरखेतार में पहुँचे। उन्हांेने पशुओं के उपचार तथा रोग की जांच के लिए अलग-अलग समूहों से एक दर्जन पशुओं के खून का नमूना लिया। जिसे बरेली लायब्रोरी में जांच के लिए भेजा गया। 
एडी डा. खान ने बताया कि प्रथम दृष्टया इस रोग का लक्षण खुरपका तो समझ में आ रहा है लेकिन मुंहपका का किसी भी मवेशी में लक्षण नहीं पाया गया। अक्सर यह दोनों रोग पशुओं को एक साथ प्रभावित करते है। इसकी जांच के लिए खून का सेंपल बरेली भेजा जा रहा है। वहां से रिपोर्ट आने के बाद स्पष्ट हो पायेगा। टीके लगाने को लेकर ग्रामीणों की शिकायत पर उन्होंने कहा कि यदि खुरपका, मुंहपका जांच में आता है तो टीकाकरण में लापरवाही बरतने वाले चिकित्सक, फार्मासिस्ट सहित पूरी टीम के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी। इनके साथ डिप्टी सीवीओ डा. राजेश कुमार सिंह, लैब टेक्निशियन गिरीश कुमार श्रीवास्तव मौजूद रहे।
जमुनियां चिकित्सक पर गिर सकती है गाज
पशुओं में खुरपका, मुंहपका, गलाघोटू जैसी जानलेवा बीमारियों पर नियंत्रण के लिए सरकारी खर्चे पर नि:शुल्क टीका लगाने की व्यवस्था है। जिसके लिए सरकारी अस्पतालों से सेवित गांवों के नाम निर्धारित किए गए हैं। यहां पीडि़त छह गांवों में पांच जमुनियां पशु अस्पताल से सेवित है। इसके अलावा एक गांव बीरी खुटहन अस्पताल अन्तर्गत आता है। जहां दो चार मवेशी ही पीडि़त पाये गये है। एक साथ इतने मवेशियों का पीडि़त होना टीकाकरण में घोर लापरवाही उजागर करता है। इससें लगता हैं कि जमुनियां चिकित्सक व कर्मचारियों पर उच्चाधिकारियों का चाबुक चल सकता है। वैसे टीकाकरण के समय यहां तैनात चिकित्सक डॉ. राकेश मौर्या  का लगभग एक माह पूर्व स्थानांतरण हो चुका है। यहां का प्रभार पट्टीनरेन्द्रपुर में तैनात चिकित्सक डॉ. सूरज सिंह देख रहे है जबकि फर्मासिस्ट व अन्य सहयोगी कर्मचारी यही पर तैनात है।
मात्र एक गांव मे ही गये एडी वाराणसी
खुरपका, मुंहपका रोग की चपेट में आये क्षेत्र के अहिरखेतार, लवायन, बेगराजपुर, बीरी, दरना, जमोहरा गावों के पीडि़त लगभग डेढ़ सौ मवेशियों का हाल जानने पहुंचे संयुक्त निदेशक वाराणसी डॉ. आईए खान और अधीक्षक मंडलीय प्रयोगशाला डॉ. आरके चौरसिया मात्र एक गांव अहीरखेतार गांव में पहुंच अन्य गावों के पीडि़त पशुओं का वहीं से अनुमान लगा लिये। शेष पांच गांवों के पशुपालक उनका इंतजार ही कर रहे थे कि वे वापस जिला मुख्यालय रवाना हो गये जो लोगों में चर्चा बना रहा।
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