Jaunpur Live News Network
जौनपुर लाइव न्यूज नेटवर्क
हजरत मोहम्मद मुस्तफा व इमाम हसन की शहादत पर निकाला जुलूस
अंजुमनों ने नौहा मातम कर पेश किया नजराने अकीदत
जौनपुर। पैगम्बरे इस्लाम हजरत मोहम्मद मुस्तफा स.अ. व उनके बड़े नवासे इमाम हसन की शहादत पर मंगलवार को नगर के कई स्थानों पर शबीहे ताबूत, अलम व तुरबत का जुलूस निकाला गया। जिसमें शहर की मातमी अंजुमनों ने नौहा मातम कर उन्हे नजराने अकीदत पेश किया। गौरतलब हो किया 27 व 28 सफर को पूरी दुनिया में इनका गम मनाया जाता है। नगर के बारादुअरिया मोहल्ला स्थित इमाम बारगाह मीर हैदर मरहूम में भी अमारी का जुलूस निकाला गया। जिसमें सोजख्वानी शबाब हैदर व उनके हमनवा ने किया। पेशख्वानी सै. हेजाब जौनुपरी, साबिर आजमी, तनवीर जौनपुरी ने किया। शिया धर्मगुरु मौलाना सैयद सफदर हुसैन जैदी ने मजलिस को खेताब करते हुए बताया कि आज ही के दिन पैगम्बरे इस्लाम हजरत मोहम्मद मुस्तफा स.अ. की शहादत मक्का मदीना में हुई थी और उनके बड़े नवासे हजरत इमाम हसन को भी आज ही के दिन दुश्मनों ने जहर देकर शहीद किया था। रसूले खुदा एवं उनके बड़े नवासे हजरत इमाम हसन का जनाजा उठाकर दफना दिया गया था पर अफसोस कि हजरत इमाम हुसैन को तीन दिन का भूखा प्यासा करबला के मैदान में शहीद कर दिया गया था और उन्हें दो गज जमीन भी मयस्सर नहीं हुई थी। मजलिस के बाद शबीहे ताबूत अलम व जुल्जनाह बरामद हुआ। अमारियों का तआर्रुफ मौलाना सैयद हसन नकवी कुम्मी ने कराया। जुलूस में शहर की सभी प्रमुख मातमी अंजुमनों ने नौहा मातम कर शहीदों को पुरसा दिया। आखिरी तकरीर मौलाना शेख हसन जाफर ने किया। इस मौके पर नफीस हैदर, शाहिद हुसैन, रियाजुल हसन, शबीहुल हसन, आदि मौजूद रहे। आभार बानीए जुलूस अमीर हैदर अम्मन ने किया।
वहीं हाइडिल स्थित शाह का पंजा कदम रसूल दरगाह से जुलूस अंजुमन कौसरिया के नेतृत्व में निकाला गया। साथ ही शहर की सभी अंजुमनों के अलावा अंजुमन जाफरिया मुस्तफाबाद जलालपुर अम्बेडकरनगर से आयी ने अपने दर्द भरे नौहे पढ़कर नजराने अकीदत पेश किया। मजलिस को खेताब मौलाना फजले मुमताज ने किया। उसके बाद अंजुमनों ने अपने दर्दभरे नौहे पढ़ते हुए जुलूस को शाह का पंजा स्थित दरगाह ले गये जहां डा. कमर अब्बास ने तकरीर की। इसके बाद शबीहे ताबूत को तुर्बत से मिलाया गया और शाहपंजा इमामबाड़े में सुपुर्द-ए-खाक किया। जुलूस के संयोजक कल्बे अब्बास अच्छे ने आभार तथा संचालन मेंहदी रजा एडवोकेट किया।
इसी क्रम में हुसैनिया नकी फाटक में अंजुमने जुल्फे कारिया के तत्वावधान में जुलूस का आयोजन किया गया। सोजख्वानी मो. जाफर व उनके हमनवां ने किया। शिया धर्म गुरु व इमामे जुमा मौलाना महफूजुल हसन खान ने मजलिस को खेताब किया। तकरीर सै. मोहम्मद हसन ने किया। ताबुत, अलम व जुल्जनाह के हमराह शहर की सभी अंजुमने नौहा मातम करती हुई वक्फ बिकानी बीबी तक गया, जहां से जुलूस पुनरू इमाम बारगाह लौटकर समाप्त हुआ।
जौनपुर लाइव न्यूज नेटवर्क
हजरत मोहम्मद मुस्तफा व इमाम हसन की शहादत पर निकाला जुलूस
अंजुमनों ने नौहा मातम कर पेश किया नजराने अकीदत
जौनपुर। पैगम्बरे इस्लाम हजरत मोहम्मद मुस्तफा स.अ. व उनके बड़े नवासे इमाम हसन की शहादत पर मंगलवार को नगर के कई स्थानों पर शबीहे ताबूत, अलम व तुरबत का जुलूस निकाला गया। जिसमें शहर की मातमी अंजुमनों ने नौहा मातम कर उन्हे नजराने अकीदत पेश किया। गौरतलब हो किया 27 व 28 सफर को पूरी दुनिया में इनका गम मनाया जाता है। नगर के बारादुअरिया मोहल्ला स्थित इमाम बारगाह मीर हैदर मरहूम में भी अमारी का जुलूस निकाला गया। जिसमें सोजख्वानी शबाब हैदर व उनके हमनवा ने किया। पेशख्वानी सै. हेजाब जौनुपरी, साबिर आजमी, तनवीर जौनपुरी ने किया। शिया धर्मगुरु मौलाना सैयद सफदर हुसैन जैदी ने मजलिस को खेताब करते हुए बताया कि आज ही के दिन पैगम्बरे इस्लाम हजरत मोहम्मद मुस्तफा स.अ. की शहादत मक्का मदीना में हुई थी और उनके बड़े नवासे हजरत इमाम हसन को भी आज ही के दिन दुश्मनों ने जहर देकर शहीद किया था। रसूले खुदा एवं उनके बड़े नवासे हजरत इमाम हसन का जनाजा उठाकर दफना दिया गया था पर अफसोस कि हजरत इमाम हुसैन को तीन दिन का भूखा प्यासा करबला के मैदान में शहीद कर दिया गया था और उन्हें दो गज जमीन भी मयस्सर नहीं हुई थी। मजलिस के बाद शबीहे ताबूत अलम व जुल्जनाह बरामद हुआ। अमारियों का तआर्रुफ मौलाना सैयद हसन नकवी कुम्मी ने कराया। जुलूस में शहर की सभी प्रमुख मातमी अंजुमनों ने नौहा मातम कर शहीदों को पुरसा दिया। आखिरी तकरीर मौलाना शेख हसन जाफर ने किया। इस मौके पर नफीस हैदर, शाहिद हुसैन, रियाजुल हसन, शबीहुल हसन, आदि मौजूद रहे। आभार बानीए जुलूस अमीर हैदर अम्मन ने किया।
वहीं हाइडिल स्थित शाह का पंजा कदम रसूल दरगाह से जुलूस अंजुमन कौसरिया के नेतृत्व में निकाला गया। साथ ही शहर की सभी अंजुमनों के अलावा अंजुमन जाफरिया मुस्तफाबाद जलालपुर अम्बेडकरनगर से आयी ने अपने दर्द भरे नौहे पढ़कर नजराने अकीदत पेश किया। मजलिस को खेताब मौलाना फजले मुमताज ने किया। उसके बाद अंजुमनों ने अपने दर्दभरे नौहे पढ़ते हुए जुलूस को शाह का पंजा स्थित दरगाह ले गये जहां डा. कमर अब्बास ने तकरीर की। इसके बाद शबीहे ताबूत को तुर्बत से मिलाया गया और शाहपंजा इमामबाड़े में सुपुर्द-ए-खाक किया। जुलूस के संयोजक कल्बे अब्बास अच्छे ने आभार तथा संचालन मेंहदी रजा एडवोकेट किया।
इसी क्रम में हुसैनिया नकी फाटक में अंजुमने जुल्फे कारिया के तत्वावधान में जुलूस का आयोजन किया गया। सोजख्वानी मो. जाफर व उनके हमनवां ने किया। शिया धर्म गुरु व इमामे जुमा मौलाना महफूजुल हसन खान ने मजलिस को खेताब किया। तकरीर सै. मोहम्मद हसन ने किया। ताबुत, अलम व जुल्जनाह के हमराह शहर की सभी अंजुमने नौहा मातम करती हुई वक्फ बिकानी बीबी तक गया, जहां से जुलूस पुनरू इमाम बारगाह लौटकर समाप्त हुआ।
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