संत रामसुभीख प्रजापति
जन्म स्थान - मुरादगंज, पोस्ट मुरादगंज, तहसील सदर, जौनपुर (उ.प्र.)
जन्म - 01 जनवरी 1927, मृत्यु - 19 जून 2008
पिता - जोखन प्रजापति
पुकारने का नाम - मोकादम जी
भारतीय प्रजापति शीर्षक सुधारक संत रामसुभीख प्रजापति का जन्म एक गरीब कृषि परिवार में ग्राम मुरादगंज पोस्ट मुरादगंज, तहसील सदर जनपद जौनपुर (उत्तर प्रदेश) में 01 जनवरी सन् 1927 ई. को हुआ था। इनके पिता जोखन प्रजापति के घर मिट्टी के बर्तन का काम होता था। गरीबी के कारण कक्षा आठ तक शिक्षा प्राप्त कर युवावस्था में रोजी-रोटी की तलाश में वह मुंबई चले गये जहां पर घाटकोपर में स्थित जवाहर रोड, वंशी भैया चाल, रुम नं. 34, चाल नं. 18 में रहते थे और एक कपड़े के मील में कार्यरत थे। वहां पर वह मजदूरों के नेता थे। मुंबई में परेल एस.टी. डिपो के ठीक सामने बंदूक वाला चाल में सन् 70-75 के आस-पास उनका आना जाना था। उन्हें जोगिरा, दोहा, चौपाई और गाने-बजाने का ज्ञान था। इनकी एकलौती संतान का नाम बालमीक प्रजापति था। वह कुम्हार जातियों के अलावा अन्य जातियों, धर्मों के लोगों से प्रेम करते थे। वह उन कुम्हार जातियों से नाराज थे जो कुम्हार जाति के होते हुए भी दूसरे जाति के लोगों का शीर्षक प्रयोग करते थे। कई लोगों को अपनी जाति (प्रजापति) का शीर्षक लिखने के लिए मंजूर करवा लिया और कहते थे जो व्यक्ति अपने नाम के आगे अन्य जाति का शीर्षक प्रयोग करता है वह अपनी माता को गाली देता है। उन्होंने अपना पूरा जीवन प्रजापति समाज के उत्थान के लिए लगाया और प्रजापति शीर्षक के प्रचार-प्रसार में किया। वह जौनपुर, मुम्बई, गुजरात, दिल्ली सहित कई प्रांतों में गये। इनके विशेष मित्रों में मुंबई में मंगरु राम प्रजापति, जगदीश प्रजापति, रामखेलावन प्रजापति जो बंदूक चाल सयानी रोड परेल एस.टी. डिपो के सामने रहते थे, गुजरात के नवसारी जिला में ग्राम दंडेश्वर में ज्योति प्रसाद उर्फ झरियग प्रजापति थे। इनके पुत्र बालमीक प्रजापति को कोई संतान नहीं थे। ये बालमीक प्रजापति के छोटे साढ़ू बिपत राम प्रजापति निवासी मोहल्ला हमाम दरवाजा, पोस्ट सदर, जनपद जौनपुर को भी अपने बेटे की तरह मानते थे। बिपत राम के तीनों पुत्र राजेन्द्र, महेन्द्र, रविंद्र इनको दादा कहते थे। बाद में बालमीक प्रजापति ने महेन्द्र प्रजापति को अपना सामाजिक उत्तराधिकारी घोषित कर दिया।
लेखक — महेन्द्र प्रजापति
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Jaunpur