Jaunpur Live News Network
जौनपुर लाइव न्यूज नेटवर्क
जर्जर हुए छत के नीचे पढ़ने को मजबूर है मासूम बच्चे, प्रशासन मौन
शिकायत करने पर भी अधिकारियों के कान पर जूं न रेंगी
केराकत, जौनपुर। केंद्र से लेकर राज्य सरकार विद्यालयों के कायाकल्प योजना पर करोड़ों खर्च कर रही है पर कुछ अधिकारी सरकार की इन महत्वाकांक्षी योजनाओं को पतीला लगाने पर तुलें है।हम बात कर रहे हैं
केराकत तहसील के सेनापुर (बडनपुर) गांव के प्राथमिक विद्यालय की जहां जर्जर छत जो कि कभी भी गिर सकती है के नीचे 120 विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं। अब इसे विभागीय किंकर्तव्यविमूढ़ता कहें या अनदेखी जिसके चलते 120 बच्चे अपने जान जोखिम में डालकर विद्यालय में अध्ययन कर रहे हैं। विद्यालय के छत की जर्जरता देखने से प्रतीत होती है मानो यह कभी भी किसी समय गिर सकती है। ऐसे में अभिभावक भी बच्चों को विद्यालय भेजने से डर रहे हैं किंतु उनके भविष्य को देखते हुए विद्यालय भेजते हैं। इस बाबत विद्यालय के प्रिंसिपल अमित यादव से बात की गई तो उन्होंने बताया के इस बात की जानकारी ग्राम प्रधान व खंड विकास खंड शिक्षा अधिकारी को लिखित दी गई पर अभी तक कोई सुधि नहीं ली गई है।इस बाबत ग्राम प्रधान रमेश कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा हमारे ग्राम में विद्यालय की जर्जरता के बारे में प्रिंसिपल जी से पता चला पर हमारी भी मजबूरी है के हमारे पास अभी तक विद्यालय के कायाकल्प के लिए कोई बजट नहीं आया है, ग्राम प्रधान ने संबंधित अधिकारियों से अपील की है की इस संबंध में जल्द ही कोई निवारण निकाले। इस संबंध में खंड शिक्षा अधिकारी महोदय से टेलिफोनिक वार्ता के लिए संपर्क किया गया तो संपर्क नहीं हो पाया।
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जर्जर हुए छत के नीचे पढ़ने को मजबूर है मासूम बच्चे, प्रशासन मौन
शिकायत करने पर भी अधिकारियों के कान पर जूं न रेंगी
केराकत, जौनपुर। केंद्र से लेकर राज्य सरकार विद्यालयों के कायाकल्प योजना पर करोड़ों खर्च कर रही है पर कुछ अधिकारी सरकार की इन महत्वाकांक्षी योजनाओं को पतीला लगाने पर तुलें है।हम बात कर रहे हैं
केराकत तहसील के सेनापुर (बडनपुर) गांव के प्राथमिक विद्यालय की जहां जर्जर छत जो कि कभी भी गिर सकती है के नीचे 120 विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं। अब इसे विभागीय किंकर्तव्यविमूढ़ता कहें या अनदेखी जिसके चलते 120 बच्चे अपने जान जोखिम में डालकर विद्यालय में अध्ययन कर रहे हैं। विद्यालय के छत की जर्जरता देखने से प्रतीत होती है मानो यह कभी भी किसी समय गिर सकती है। ऐसे में अभिभावक भी बच्चों को विद्यालय भेजने से डर रहे हैं किंतु उनके भविष्य को देखते हुए विद्यालय भेजते हैं। इस बाबत विद्यालय के प्रिंसिपल अमित यादव से बात की गई तो उन्होंने बताया के इस बात की जानकारी ग्राम प्रधान व खंड विकास खंड शिक्षा अधिकारी को लिखित दी गई पर अभी तक कोई सुधि नहीं ली गई है।इस बाबत ग्राम प्रधान रमेश कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा हमारे ग्राम में विद्यालय की जर्जरता के बारे में प्रिंसिपल जी से पता चला पर हमारी भी मजबूरी है के हमारे पास अभी तक विद्यालय के कायाकल्प के लिए कोई बजट नहीं आया है, ग्राम प्रधान ने संबंधित अधिकारियों से अपील की है की इस संबंध में जल्द ही कोई निवारण निकाले। इस संबंध में खंड शिक्षा अधिकारी महोदय से टेलिफोनिक वार्ता के लिए संपर्क किया गया तो संपर्क नहीं हो पाया।
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