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जौनपुर लाइव न्यूज नेटवर्क
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सिंगरामऊ, जौनपुर। सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण और अवैध कब्जा हटाने को लेकर अधिकारी, कर्मचारी अभी भी गंभीर नहीं हैं। शिकायतों को कागजों पर ही निस्तारित कर कोरम पूरा करने का काम कर रहे हैं या फिर लंबित मामलों की फाइलें देखना ही नहीं चाहते। राजस्व विभाग के अधिकारियों पर शासन का निर्देश, डीएम के आदेश का भी कोई असर नहीं हो रहा है। अतिक्रमण और अवैध कब्जा के मामले को लेकर शासन की ओर से की गई कवायद जिले में पूरी तरह फ्लाप है। खासकर राजस्व विभाग के अधिकारी, कर्मचारी इसको लेकर जरा भी गंभीर नहीं हैं। इतना ही नहीं शिकायतों को राजस्व विभाग के अधिकारी मनमानी तरीके से निस्तारित कर कोरम पूरा करने का काम करते हैं। आलम यह हैं कि दबंग आज भी सार्वजनिक और कमजोर लोगों की जमीनों पर कब्जा जमाए बैठे हैं और प्रशासन इनके आगे बौना साबित हो रहा है। कई मामलों में तो राजस्व विभाग के अधिकारी कार्रवाई करने के बजाए शिकायतकर्ताओं को मामले के निस्तारण के लिए मुकदमा दायर करने का सुझाव देकर उसकी शिकायतों को निस्तारित कर देते हैं और भू-माफिया के खिलाफ मुकदमा दर्ज भी कर लिए तो मामले में केवल तारीख ही पड़ती है फाइलों को छुआ नहीं जाता।
केस 01 — डेढ़ साल बाद भी बरकरार है जल गड्ढे की जमीन पर अवैध कब्जा
बदलापुर तहसील क्षेत्र के पूरारजवार गांव में सरकारी भूमि अराजी संख्या 334 व 335 पर कई सालों से दबंगों ने कब्जा कर रखा है। डेढ़ साल पहले गांव के तत्कालीन लेखपाल ने राजे·ार पुत्र खेताऊ के खिलाफ 115 सी की रिपोर्ट तहसील को देकर बताया कि इसने सरकारी संपत्ति पर कब्जा कर नुकसान पहुंचाया है। 04 जुलाई 2017 को तहसील प्रशासन ने राजे·ार को खिलाफ वाद संख्या 1435/2017 के तहत मुकदमा तो पंजीकृत कर लिया लेकिन डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई, सुनवाई के बजाय तारीख देकर मामले को लंबित किए जाना अधिकारियों की नियत बन चुकी है।
केस नं. 2 — तहसील के मेढ़ा गांव निवासी इकरार अहमद ने इसी साल अक्टूबर माह में जन सुनवाई पोर्टल पर संदर्भ संख्या 40019418062045 के तहत आवेदन किया कि गांव की आ0 नं0 1373 जो कि जल खाते की आरक्षित जमीन है पर गांव के ही भुलई पुत्र माताप्रसाद आदि ने अवैध रूप से कब्जा कर रखा है, मामले में अधिकारियों द्वारा किसी प्रकार का अतिक्रमण न होना लिखकर मामले को निस्तारित कर दिया गया। इसी तरह अधिकांश गांवों में इस तरह के प्रकरण देखने को मिल रहे हैं, लेकिन मामले को लेकर अधिकारी लापरवाह हैं।
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