Jaunpur Live News Network
जौनपुर लाइव न्यूज नेटवर्क
जौनपुर। तिलकधारी महाविद्यालय जौनपुर की पीलीकोठी स्थित कृषि शस्य विज्ञान अनुशंधान फार्म पर शस्यविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. श्रीश कुमार सिंह, डॉ. अनिल कुमार सिंह, डॉ. सीपी सिंह के नेतृत्व में राजमा, आलू, गेहूं, मटर, अलसी व सरसों की फसल फार्म में शोधार्थियों द्वारा लगाई गई है।
डॉ. सिंह ने अपने शोधार्थी शिवम चौबे के साथ राजमा पर शोध करते हुए बताया कि राजमा साधारणतः पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रचलित फसल नहीं है। राजमा के प्रचार व प्रसार हेतु पूर्वी उत्तर प्रदेश की भूमि पर भी इस फसल को बोने का सुझाव देते हुए बताया कि राजमा बच्चों व बूढ़ों के लिए प्रोटीन एवं विटामिन बी 1 प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। दलहन फसल के साथ—साथ इसका प्रयोग सब्जी के रूप में भी किया जा सकता हैं। यह एक ऐसी फ़सल है जो हृदयरोगियों के लिए बहुत ही लाभदायक है। इसका प्रयोग बौद्धिक क्षमता के विकास हेतु भी उपयोग में लाया जा सकता है परन्तु ये हरियाणा, पंजाब, जम्मू कश्मीर व पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक ही सीमित है।इस फसल में खरपरतवार नियंत्रण एवं नत्रजन प्रबन्ध देखा जा रहा है।
गोपाल स्वरूप पाठक अपने आलू की फसल में बिना शाकनाशी का उपयोग किये हुए खरपतवार नियंत्रण पर शोध कर रहे है। डॉ सिंह ने बताया कि शाकनाशी का दुष्परिणाम समस्त जैविक जगत पर पड़ता है जो अत्यंत हानिकारक है। यह मनुष्यों व पशुओं में कर्क रोग कारक है तथा मिट्टी की उपज व उर्वरता प्रभावित करता है। गेहूं की फसल पर शोध कर रहे विवेक कुमार सिंह विभिन्न शाकनाशियों का चौड़ी पत्तियों वाली खरपतवार पर प्रभाव देख रहे हैं। इस अवसर पर उद्देश्य सिंह, कौटुक उपाध्याय, प्रशान्त, सिद्धार्थ सिंह, आलोक तिवारी, शुभम सिंह समेत आदि शोधार्थी छात्र व शिक्षक मौजूद रहे।
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जौनपुर। तिलकधारी महाविद्यालय जौनपुर की पीलीकोठी स्थित कृषि शस्य विज्ञान अनुशंधान फार्म पर शस्यविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. श्रीश कुमार सिंह, डॉ. अनिल कुमार सिंह, डॉ. सीपी सिंह के नेतृत्व में राजमा, आलू, गेहूं, मटर, अलसी व सरसों की फसल फार्म में शोधार्थियों द्वारा लगाई गई है।
डॉ. सिंह ने अपने शोधार्थी शिवम चौबे के साथ राजमा पर शोध करते हुए बताया कि राजमा साधारणतः पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रचलित फसल नहीं है। राजमा के प्रचार व प्रसार हेतु पूर्वी उत्तर प्रदेश की भूमि पर भी इस फसल को बोने का सुझाव देते हुए बताया कि राजमा बच्चों व बूढ़ों के लिए प्रोटीन एवं विटामिन बी 1 प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। दलहन फसल के साथ—साथ इसका प्रयोग सब्जी के रूप में भी किया जा सकता हैं। यह एक ऐसी फ़सल है जो हृदयरोगियों के लिए बहुत ही लाभदायक है। इसका प्रयोग बौद्धिक क्षमता के विकास हेतु भी उपयोग में लाया जा सकता है परन्तु ये हरियाणा, पंजाब, जम्मू कश्मीर व पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक ही सीमित है।इस फसल में खरपरतवार नियंत्रण एवं नत्रजन प्रबन्ध देखा जा रहा है।
गोपाल स्वरूप पाठक अपने आलू की फसल में बिना शाकनाशी का उपयोग किये हुए खरपतवार नियंत्रण पर शोध कर रहे है। डॉ सिंह ने बताया कि शाकनाशी का दुष्परिणाम समस्त जैविक जगत पर पड़ता है जो अत्यंत हानिकारक है। यह मनुष्यों व पशुओं में कर्क रोग कारक है तथा मिट्टी की उपज व उर्वरता प्रभावित करता है। गेहूं की फसल पर शोध कर रहे विवेक कुमार सिंह विभिन्न शाकनाशियों का चौड़ी पत्तियों वाली खरपतवार पर प्रभाव देख रहे हैं। इस अवसर पर उद्देश्य सिंह, कौटुक उपाध्याय, प्रशान्त, सिद्धार्थ सिंह, आलोक तिवारी, शुभम सिंह समेत आदि शोधार्थी छात्र व शिक्षक मौजूद रहे।
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