Jaunpur Live News Network
जौनपुर लाइव न्यूज नेटवर्क
पूरे बयान को सुनाएं सच्चाई सामने होगी
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर राजाराम ने अपने बयानों को तोड़ मड़ोरकर पेश करने का हवाला दिया है जबकि इस बयान के पीछे उनका उद्देश्य बच्चों के अंदर मानसिक आन्तरिक हौसला बढ़ाना, उन्हें शिक्षा के प्रति मजबूत करना बढ़ावा देना था। मात्र काव्यात्मक आशय मर्डर जैसे हालात से था।
गाजीपुर के एक महाविद्यालय में छात्रों को संबोधित कर रहे कुलपति प्रोफेसर राजाराम यादव ने छात्रों के अंदर उत्साह संवेदना जगाने के साथ उन्हें किसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए बहादुर बनने के लिए साहित्यिक जोश भर रहे थे। इसी लाइनों में उन्होंने छात्रों को तपाने बहादुर बनाने का आशय तर्क दिया कि किसी छात्र का कहीं भी कोई भी समस्या होती है अगर वह गलत नहीं है तो वहां उस हालत में लड़ना भी गलत नहीं होगा। अपने अधिकारों के लिए पीछे नहीं हटना चाहिए। बुराइयों को नाश करने के लिए मर्डर जैसी स्थित हो, ऐसे में छात्र डिगे नहीं पीछे हट नहीं।
कुलपति प्रोफेसर राजाराम यादव ने कहा कि मेरे बयानों को तोड़ मरोड़ कर पेश करना गलत है। शुरू से लेकर अंत तक बयानों को जो सुनेगा उसका सीधा मतलब सबकी समझ में आ जाएगा। जैसे कवियों साहित्यकारों द्वारा अपने बयान में लोगों पर तंज कसते रहते हैं। मेरा उसी तरह छात्रों पर उद्देश्य था। बस मैं साहित्यिक वीर रस से सराबोर सम्बोधन मैंने छात्रों के हौसला अफजाई के लिए दिया। वह एक तंज था, उस बयान को सीधा मर्डर से जोड़ना मेरी तनिक भी मंशा नहीं थी। उसे गंभीरता से लेकर पेश किया जाना यह सरासर गलत है। आज भी अटल हूं और छात्रों के विषम परिस्थितियों में बहादुर बनाने के लिए जोश भरता रहूंगा। उन्हें शिक्षा के प्रति युद्ध जैसे हालात पर अपने को तैयार कर सके।
बता दें कि कुलपति पहले से ही साहित्यिक काव्यात्मक विचारधारा से सराबोर है। विभिन्न कलाओं को समय—समय पर प्रदर्शित कर चुके है। उनके बयान में छात्रों के अन्दर एक जोश उत्साह का सृजन करना था इसलिए उनका उद्देश्य किसी का मर्डर करवाना नहीं था। उनकी मंशा छात्र हित में साफ थी।
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पूरे बयान को सुनाएं सच्चाई सामने होगी
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर राजाराम ने अपने बयानों को तोड़ मड़ोरकर पेश करने का हवाला दिया है जबकि इस बयान के पीछे उनका उद्देश्य बच्चों के अंदर मानसिक आन्तरिक हौसला बढ़ाना, उन्हें शिक्षा के प्रति मजबूत करना बढ़ावा देना था। मात्र काव्यात्मक आशय मर्डर जैसे हालात से था।
गाजीपुर के एक महाविद्यालय में छात्रों को संबोधित कर रहे कुलपति प्रोफेसर राजाराम यादव ने छात्रों के अंदर उत्साह संवेदना जगाने के साथ उन्हें किसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए बहादुर बनने के लिए साहित्यिक जोश भर रहे थे। इसी लाइनों में उन्होंने छात्रों को तपाने बहादुर बनाने का आशय तर्क दिया कि किसी छात्र का कहीं भी कोई भी समस्या होती है अगर वह गलत नहीं है तो वहां उस हालत में लड़ना भी गलत नहीं होगा। अपने अधिकारों के लिए पीछे नहीं हटना चाहिए। बुराइयों को नाश करने के लिए मर्डर जैसी स्थित हो, ऐसे में छात्र डिगे नहीं पीछे हट नहीं।
कुलपति प्रोफेसर राजाराम यादव ने कहा कि मेरे बयानों को तोड़ मरोड़ कर पेश करना गलत है। शुरू से लेकर अंत तक बयानों को जो सुनेगा उसका सीधा मतलब सबकी समझ में आ जाएगा। जैसे कवियों साहित्यकारों द्वारा अपने बयान में लोगों पर तंज कसते रहते हैं। मेरा उसी तरह छात्रों पर उद्देश्य था। बस मैं साहित्यिक वीर रस से सराबोर सम्बोधन मैंने छात्रों के हौसला अफजाई के लिए दिया। वह एक तंज था, उस बयान को सीधा मर्डर से जोड़ना मेरी तनिक भी मंशा नहीं थी। उसे गंभीरता से लेकर पेश किया जाना यह सरासर गलत है। आज भी अटल हूं और छात्रों के विषम परिस्थितियों में बहादुर बनाने के लिए जोश भरता रहूंगा। उन्हें शिक्षा के प्रति युद्ध जैसे हालात पर अपने को तैयार कर सके।
बता दें कि कुलपति पहले से ही साहित्यिक काव्यात्मक विचारधारा से सराबोर है। विभिन्न कलाओं को समय—समय पर प्रदर्शित कर चुके है। उनके बयान में छात्रों के अन्दर एक जोश उत्साह का सृजन करना था इसलिए उनका उद्देश्य किसी का मर्डर करवाना नहीं था। उनकी मंशा छात्र हित में साफ थी।
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