Jaunpur Live News Network
जौनपुर लाइव न्यूज नेटवर्क
जौनपुर। नाथूपुर गांव में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के समापन पर भागवाताचार्य अवधेश चतुर्वेदी ने परीक्षित मोक्ष की पावन कथा का तत्व दशर््ान प्रस्तुत किया। साथ ही बताया कि जीवात्मा पंचभूत शरीर प्राप्त करके निजस्वरूप को भूल जाता है। मानव तप का मुख्य लक्ष्य परमात्मा की प्राप्ति है। माता, पिता, पत्नी, पुत्र, पुत्री परमात्म मार्ग के सहयोगी मात्र हैं। इन सभी से प्रेम तो करें परन्तु इनमें आसक्त न हों। जीवात्मा आयु रूपी घोड़े पर सवार होकर माया रूपी गठरी सिर पर धारण कर लेता है। जब आयु रूपी घोड़ा आगे बढ़ता है तो सिर पर रखी माया रूपी गठरी खिसकने लगती है जिसके कारण जीवन की यात्रा बाधित हो जाती है जिससे हम न जीवन यात्रा का आनन्द पाते हैं और न ही माया रूपी गठरी संभलती है। यदि हमारे समझ में यह आ जाय कि हमारा और गठरी का भार दोनों ही घोड़ा ढो रहा है तो हम माया रूपी गठरी को सिर से उतारकर सामने रखने और अपने पांवों से सहारा देकर सम्भाल लें और जीवन सुचारू रूप से चलने लगे। तत्पश्चात हवन के साथ भण्डारा का आयोजन किया गया जहां हजारों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। इस अवसर पर विजय नारायण शुक्ला, वशिष्ठ नारायण शुक्ला, नरसिंह पाण्डेय, श्याम सुन्दर, रविन्द्र त्रिपाठी, अमित चौबे, संजीव यादव, संजय जाण्डवानी, नवीन सिंह सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।
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जौनपुर। नाथूपुर गांव में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के समापन पर भागवाताचार्य अवधेश चतुर्वेदी ने परीक्षित मोक्ष की पावन कथा का तत्व दशर््ान प्रस्तुत किया। साथ ही बताया कि जीवात्मा पंचभूत शरीर प्राप्त करके निजस्वरूप को भूल जाता है। मानव तप का मुख्य लक्ष्य परमात्मा की प्राप्ति है। माता, पिता, पत्नी, पुत्र, पुत्री परमात्म मार्ग के सहयोगी मात्र हैं। इन सभी से प्रेम तो करें परन्तु इनमें आसक्त न हों। जीवात्मा आयु रूपी घोड़े पर सवार होकर माया रूपी गठरी सिर पर धारण कर लेता है। जब आयु रूपी घोड़ा आगे बढ़ता है तो सिर पर रखी माया रूपी गठरी खिसकने लगती है जिसके कारण जीवन की यात्रा बाधित हो जाती है जिससे हम न जीवन यात्रा का आनन्द पाते हैं और न ही माया रूपी गठरी संभलती है। यदि हमारे समझ में यह आ जाय कि हमारा और गठरी का भार दोनों ही घोड़ा ढो रहा है तो हम माया रूपी गठरी को सिर से उतारकर सामने रखने और अपने पांवों से सहारा देकर सम्भाल लें और जीवन सुचारू रूप से चलने लगे। तत्पश्चात हवन के साथ भण्डारा का आयोजन किया गया जहां हजारों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। इस अवसर पर विजय नारायण शुक्ला, वशिष्ठ नारायण शुक्ला, नरसिंह पाण्डेय, श्याम सुन्दर, रविन्द्र त्रिपाठी, अमित चौबे, संजीव यादव, संजय जाण्डवानी, नवीन सिंह सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।
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