Jaunpur Live :वर्षों से उपेक्षा का शिकार 1942 की क्रांति के शहीद की मजार



Jaunpur Live News Network
जौनपुर लाइव न्यूज नेटवर्क
जौनपुर। चंदवक क्षेत्र के वीरभानपुर स्थित शहीद स्मारक पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राज नारायण पाण्डेय की पुण्यतिथि मनायी गयी। इस मौके पर क्षेत्र के संभ्रांत लोग मौजूद रहे, सभी वक्ताओं ने स्वतंत्रता सेनानी राज नारायण पाण्डेय पर अपने विचार व्यक्त किये। इसके पहले सभी लोग शहीद स्मारक पर पहुंचकर झंडारोहण कर शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित किये।
बता दें कि स्व. राजनारायण पांडे छह जनवरी सन् 1943 में अंग्रेजों की यातना सहते हुए जिला जेल में अपनी अंतिम सांस ली थी। स्व. राजनारायण पांडेय स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिये थे। 1942
की क्रांति हो या फिर अंग्रेजों के खिलाफ किसी भी प्रकार का आंदोलन वह हमेशा बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते थे। राज नारायण पांडे के भतीजे अधिवक्ता प्रदीप पांडे ने बताया कि अगस्त 1942  रेलवे स्टेशन व अंग्रेजी द्वारा निर्मित गोमती नदी पर बने सेतु को तोड़ने के साथ डोभी रेलवे स्टेशन को लूटने के आरोप में अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया और जौनपुर के जिला जेल में ले जाकर बंद कर दिया। जहां पर कई दिनों तक यातनाएं दी गई जिसके बाद इनकी 6 जनवरी 1943 को जेल में ही मौत हो गई। इनके साथ इनके छोटे भाई स्व. राम नारायण पाण्डेय भी इनके साथ स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिए थे। अंग्रेजों ने इन्हें भी जेल में डाल दिया था। जेल काटने के बाद वो रिहा हुए। बताया जाता हैं कि 1942 के स्वतंत्रता आंदोलन में गांधी जी द्वारा दिये गये नारे करो या मरो को लेकर बरईछ ग्राम सभा के स्वतंत्रता सेनानी राज नारायण पाण्डेय व राम नारायण पाण्डेय ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया जिसमें इन लोगों ने कई अंग्रेजों को मारा पीटा और उनके द्वारा बनायी गयी कई व्यवस्थाओं को तोड़ा फोड़ा भी जिससे परेशान होकर अंग्रेज इन्हें ढूंढने लगे। काफी ढूंढने के बाद जब यह लोग मिले तो इन पर जुर्म ढहाते हुए जेल में डाल दिया गया। बताया जाता हैं कि अगस्त 1942 में इन लोगों को जेल में डाला गया। जिसमें राज नारायण पांडेय जेल अंग्रेजों की यातनाएं काटते हुए 6 जनवरी 1943 को जेल में ही शहीद हो गये और उनके छोटे भाई रामनारायण पाण्डेय वहां से रिहा हुए। जब देश आजाद हुआ तो उन्हें आजादी के बाद वर्षों तक सरकार द्वारा पेंशन मिलती रही। रामनारायण पांडेय की मौत 13 मार्च 2005 को वाराणसी के रामकृष्ण मिशन अस्पताल में हो गई। बता दें कि राज नारायण पांडेय एक मामूली ब्रााहृण परिवार में जन्मे थे, इनकी माता का नाम बसंती देवी था। वाराणसी-आजमगढ़ मार्ग पर बीरभानपुर ग्राम सभा में स्थित राज नारायण पाण्डेय का स्मारक आज भी उपेक्षा का शिकार है। शासन-प्रशासन द्वारा पिछले कई वर्षों से उपेक्षित पड़ा है, उनके स्मारक के आस-पास घास फूस और झाडि़यां लगी पड़ी हैं लेकिन कोई सुध लेने वाला नहीं है। जहां सरकार सेनानियों की स्मृतियों को संजोने का कार्य करती है। वहीं 1942 की क्रांति के बाद शहीद हुए स्व. राजनारायण पाण्डेय का शहीद  स्मारक आज भी उपेक्षा का शिकार है, और आज भी अपने विकास की बाट जो रहा है। पुण्यतिथि के अवसर पर अधिवक्ता प्रदीप पांडेय, सुरेंद्र पाण्डेय, अशोक पाण्डेय, सुदामा, अनिल, अवधेश, संतोष, पंकज, गोपाल, लालजी राम सहित दर्जनों लोग उपस्थित रहे।



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