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जौनपुर। बहना ने भाई की कलाई पर प्यार बांधा है...भाई-बहन के स्नेह के प्रतीक पवित्र पर्व रक्षाबंधन पर बहनों ने भाइयों की कलाई में राखी बांधीं। साथ ही अपनी रक्षा सहित सुख-समृद्धि की वरदान मांगीं। इस पर्व को लेकर जहां पिछले कई दिनों से दूर रहने वाले भाई-बहन एक-दूसरे के पास पहुंचे, वहीं सुबह स्नान आदि करने के बाद इस पर्व को परम्परागत ढंग से मनाया गया। बहनों ने भाइयों की कलाई में राखी बांधी तो भाइयों ने बहन की रक्षा का संकल्प लिया। बहनों ने भाइयों के माथे पर तिलक व अक्षत लगाकर आरती उतारी जिसके बाद राखी बांधने के साथ मुंह मीठा कराया। तत्पश्चात भाइयों ने सामथ्र्य के अनुसार बहनों को उपहार दिया। इसी के बाबत घरों में पूड़ी, कचौड़ी, खीर, छोला, पनीर सहित अन्य पकवान बनाये गये जिसका बच्चों, युवाओं सहित सभी ने स्वाद लिया। देखा गया कि पहुंचने में असमर्थ बहुत बहनों ने भाइयों को डाक के माध्यम से राखी भेजा।
इसी क्रम में तमाम बहनें अपने उन भाइयों को राखी बांधने जेल पहुंचीं जो किसी अपराध के चलते बन्द हैं। बुरा दौर खत्म होने की कामना लेकर बहनें जेल में भाइयों को राखी बांधने पहुंचीं। जेल में किसी तरह का उपहार ले जाना वर्जित है, इसलिये सिर्फ मिठाई व राखी लेकर बहनें कारागार पहुंचीं। बहनों ने भाइयों की लम्बी उम्र की कामना के साथ उनकी विपत्ति के दौर से जल्दी उबरने की कामना किया। मान्यता हैं कि भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है रक्षा बंधन पर्व। यह पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन बहनें भाई के हाथ पर राखी बांधकर जहां उनकी उन्नति व अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं, वहीं भाई भी सदैव बहन की रक्षा की प्रतिज्ञा लेते हैं। इस दिन बहनें सुबह तैयार होकर पूजा की थाली सजाती हैं जिसमें राखी, रोली, हल्दी, चावल और मिठाई रखती हैं। भाई की आरती उतारने के लिये थाली में दीपक रहता है। इस पर्व के दिन बहनें व्रत भी रखती हैं जो भाई को राखी बांधने के बाद ही कुछ खाती हैं। इस पर्व की एक और खासियत यह है कि यह धर्म, जाति व देश की सीमाओं से परे है। राखी के रूप में बहन द्वारा बांधा गया धागा धन, शक्ति, हर्ष और विजय देने में समर्थ माना जाता है।
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