मारीशस के 'भोजपुरी यूनियन संघ" की अध्यक्षा डा. सरिता बुधु ने दी 'मैनेजमेंट गुरु" की उपाधि
वारिंद्र पाण्डेय
जौनपुर। जनपद के पूर्वी छोर पर स्थित डोभी क्षेत्र अपनी विविधता के कारण पूरे पूर्वांचल में पहचाना जाता है। सामाजिक सरोकारों से जुड़े यहां के लोग ख्यातिलब्ध शिक्षाविद, कुशल प्रशासक एवं सफल तकनीतिज्ञ रहे हैं। स्व. ठाकुर मथुरा सिंह, आचार्य बीरबल, ठा. रामलगन सिंह, वरिष्ठ साहित्यकार स्वामीनाथ पाण्डेय एवं सिद्ध योगी संत कीनाराम की तप:स्थली जहां डोभी की पहचान थे तो वहीं दूसरी तरफ विश्व बैंक के गवर्नर यहां हिन्दी सीखने आये थे।
वर्तमान समय में डोभी क्षेत्र को शिक्षा का हब बनाने का संकल्प पूरा कर रहे व्यक्तित्व का नाम है अनिल यादव 'मैनेजमेंट गुरु "। मध्यमवर्गीय किसान के घर पैदा हुए अनिल बचपन से ही मेधावी थे। इनके पिता रामकरन यादव आर्मी में सूबेदार मेजर थे, मां बदामी देवी साधारण गृहणी थी। पिता के फौज में रहने के कारण इनकी पढ़ाई व संस्कारों की देख-रेख मां के ही जिम्मे था। ऊंची इमारतों में चल रहे महंगे स्कूलों को देखकर अनिल ने 28 वर्ष की अवस्था में यह संकल्प कर लिया कि आगे भाग्य ने सहारा दिया तो गांव गिराव में आर्थिक रुप से कमजोर, सभी वर्गों के लिए समावेशी शिक्षा के लिए दर्जनों उच्च शिक्षण संस्थान बनाऊंगा।
आधुनिकता की चकाचौंध में युवा मन बंजारा होता है लेकिन उसी युवा उम्र के अनिल यादव का शिक्षण संस्थान खोलने का शिव संकल्प निश्चय ही स्तुत्य था। ऐसे में मात्र 28 वर्ष की उम्र में अपने मामा गुरु फूलचन्द यादव से आशीर्वाद लेकर डोभी के पतरही (कोपा) में आचार्य बलदेव डिग्री कालेज की स्थापना की। तब से लगायत आज तक अनिल यादव द्वारा उच्च शिक्षण संस्थान खोलने का क्रम आज भी रु का नहीं है।
उन्होंने मौधा, नयनपुर, रौना, पतरही, कोपा आदि स्थानों के अतिरिक्त वाराणसी एवं गाजीपुर में भी महाविद्यालय स्थापित किया है। राजनीतिक दलबंदियों से दूर रहकर समाजसेवा के अन्य क्षेत्रों हाकी, क्रिकेट, खोखो, कबड्डी, वालीबाल, बैटमिंटन, एथलिट व वृक्षारोपण को बढ़ावा देने का काम पूरे मनोयोग के साथ करते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में इनके सराहनीय कार्य की चर्चा मारीशस एवं जाफना में भी हुई। मारीशस के उप प्रधानमंत्री की पत्नी एवं भोजपुरी यूनियन संघ की अध्यक्षा डा. सरिता बुधू ने यहां के संस्थानों को विजिट कर अनिल यादव को मैनेजमेंट गुरु की अपाधि से सम्मानित किया।
इन संस्थानों से अब तक 400 अध्यापक एवं 500 से अधिक छात्र सेना में भर्ती होकर देश को अपनी सेवा अर्पित कर रहे हैं। इन्होंने लगभग दो दर्जन से अधिक अन्य कालेजों को सहयोग सलाह एवं सुधार करके अपने-अपने उच्च प्रबंधकीय क्षमता का लोहा मनवाया। इन्हीं गुणों ने अनिल यादव को पूरे क्षेत्र में मैनेजमेंट गुरु के उप नाम से विख्यात बना दिया। जिस पर उनका मिलनसार स्वभाव एवं मृदुल व्यक्तित्व लोगों को अपनी ओर सहज ही आकर्षित करता है।
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