Jaunpur City : कमजोर नेतृत्व के कारण सदन में प्राथमिकता के आधार पर नहीं उठाये गये मुद्दे : रमेश सिंह


सेवानिवृत्त होने के बाद संगठन के किसी पद पर नहीं रहूंगा, चुनाव भी नहीं लड़ूगा
मौका मिला तो धारा 21 की होगी पुर्नबहाली
साथियों को पेंशन मिलने व वित्तविहीन शिक्षकों को सेवा नियमावली बनवाकर मानदेय दिलवाने तक विधान परिषद के सदस्य के रूप में नहीं लूंगा पेंशन





जौनपुर। वाराणसी खण्ड शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र रमेश सिंह ने कहा कि शिक्षक संघ का अपना एक गौरवशाली इतिहास रहा है और इसने लगभग चार दशकों तक अपने संघर्षों के बल पर शिक्षकों को सम्मानजनक ढंग से न केवल जीवन यापन का अवसर प्रदान किया बल्कि शिक्षा और शिक्षार्थियों के हितों का संवर्धन भी किया। संघर्ष के महानायकों स्व. हरिहर पांडेय, महेश्वर पांडेय, आरएन ठकुराई व मान्धाता सिंह जैसे लोगों ने न केवल प्रबंधतंत्र और सरकार से शिक्षकों के सम्मानजनक अस्तित्व की लड़ाई लड़ी बल्कि शिक्षक राजनीति में नैतिकता और शुचिता का मापदंड भी स्थापित किए। वह रविवार को टीडी इंटर कालेज के मारकंडेय हाल में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।





उन्होंने कहा कि शिक्षक नौकरी तो प्राइवेट मैनेजमेंट ही करता है लेकिन वेतन और पेंशन सरकार से लेता है। यह सब कुछ उत्साही एवं कार्यरत नेतृत्व के चलते ही संभव हो पाया लेकिन पिछले दो दशक से माध्यमिक शिक्षक संघ के इस गौरवशाली अतीत पर ग्रहण सा लग चुका है। श्री सिंह ने कहा कि सेवानिवृत्त और कमजोर नेतृत्व, पदलोलुपता, सरकार परस्ती और व्यक्तिगत हितों को प्राथमिकता देने के कारण संघर्ष कमजोर पड़ा और कमजोर संघर्ष को देखते हुए सरकार ने अपना वार शुरू कर दिया जिससे शिक्षक साथियों को प्राप्त उपलब्धियां एक-एक कर छिनती चली जा रही है।





कहा कि एक अप्रैल 2005 के पश्चात नियुक्त साथियों से पेंशन छीन ली गई तो 2007 में माध्यमिक शिक्षक परिषद से शिक्षकों व प्रधानाचार्यों का प्रतिनिधित्व ही समाप्त कर दिया गया। एक अप्रैल 2014 के पश्चात नियुक्त साथियों से अनिवार्य सामूहिक बीमा छीन लिया गया तो 2019 में परिवार नियोजन के नाम पर मिलने वाले विशेष प्रोत्साहन भत्तों को बंद कर दिया गया। अभी चंद दिन पूर्व ही सदन के भीतर आठ-आठ शिक्षक विधायकों के रहते हुए भी चयन बोर्ड अधिनियम की धारा 21 समाप्त कर न केवल शिक्षकों की सेवा सुरक्षा समाप्त कर दी गई बल्कि उन्हें प्रबंधतंत्र के शोषण के लिए परोस दिया गया।





उन्होंने कहा कि अब निर्णय की घड़ी आ चुकी है यदि हमें अपनी बची खुची उपलब्धियों को बचाएं रखनी है तो हमें नेतृत्व परिवर्तन करने के साथ-साथ संगठन से लेकर सदन तक युवा, उत्साही एवं कार्यरत शिक्षकों को पदारूढ़ करना होगा। इसी विचारधारा की लड़ाई और शिक्षकों के सम्मान, सेवा सुरक्षा और भविष्य को लेकर वाराणसी खण्ड निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव मैदान में हूं।





श्री सिंह ने कहा कि मेरा तीन संकल्प है पहला धारा 21 की पुर्नबहाली कराना, दूसरा संकल्प है कि 31 मार्च 2024 को अवकाश ग्रहण के पश्चात न संगठन में किसी पद पर रहूंगा और और न ही शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से दोबारा प्रत्याशी बनूगा बल्कि संगठन के बैनर तले कार्यरत नेतृत्व का अनुगामी बनूंगा। तीसरा संकल्प चुनाव जीतन के बाद मैं विधान परिषद सदस्य के रूप में मिलने वाली पेंशन को तब तक नहीं लूगा जब तक कि साथियों को पेंशन मिलने व वित्तविहीन शिक्षकों की सेवा नियमावली न बनवा लूं।


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