सै. हसनैन कमर दीपू
जौनपुर।
मल्हनी 367 विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव का काउंटडाउन अब घंटों की रफ्तार से चल रहा है। यहां हर घंटे एक दूसरे को पछाड़ने में भाजपा, कांग्रेस, बसपा के उम्मीदवार जहां धनंजय के गढ़ पर कब्जा करने में जुटे हैं वहीं सपा के लकी यादव अपने पिता से विरासत में मिले गढ़ को बचाने में लगे हुए हैं। पिछले दो दशक से यह विधानसभा सीट धनंजय और सपा के बीच बनी रही है।
हालांकि 2002 में जब धनंजय ने इस सीट पर कब्जा किया तो उनका पिछला कोई राजनीतिक इतिहास नहीं था। वह दो बार निर्दल उम्मीदवार के रुप में ही इस सीट पर काबिज हुए थे जबकि 2009 के लोकसभा चुनाव में इन्होंने जीत दर्ज की तो अपने पिता राजदेव सिंह को उपचुनाव में बसपा के टिकट पर जीत दिलायी थी। पिछले दो विधानसभा चुनावों में लकी के पिता पारसनाथ यादव इस सीट पर जीत दर्ज करते रहे हैं।
पारसनाथ यादव के निधन के बाद विरासत के रुप में सपा उम्मीदवार लकी यादव को इस सीट पर कब्जा बनाये रखने को टिकट मिला है जबकि धनंजय सिंह एक बार फिर निर्दल मैदान में है खुद पूर्व सांसद और दो बार के विधायक रहे हैं और उनकी पत्नी श्रीकला रेड्डी सिंह को भी राजनीतिक अनुभव है। यही कारण है कि धनंजय और श्रीकला की जोड़ी सभी दलों के बड़े व स्टार प्रचारकों का मुकाबला खुबसूरती से कर रही है। सपा के लकी जहां अपने वोट बैंक के साथ गढ़ बचाने में जुटे हैं। वहीं धनंजय भी इस गढ़ पर फिर काबिज होने को आतुर हैं।
दूसरी ओर भाजपा, कांग्रेस और बसपा के उम्मीदवार अपने दलों के बड़े नेताओं और विधायकों के जरिए दलगत मतदाताओं के अलावा अन्य वोटरों पर डोरे डालने की कोशिश में लगे हैं। चुनाव की तिथि जैसे-जैसे नजदीक आ रही है उसी रफ्तार में सभाओं और रैलियों का दौर बढ़ गया है। निर्दल धनंजय ही एक ऐसे प्रत्याशी हैं जो घर-घर सम्पर्क वाले ट्रैक पर ही भरोसा कर रहे हैं।
दलित, पिछड़े इलाकों में पुलिस-प्रशासन का दबाव बढ़ा
शहर से ही सटे कुद्दूपुर, नेवादा समेत कई गांवों में रात के समय सरकारी वाहनों से पुलिस, प्रशासनिक अधिकारी, कर्मचारी दलित और पिछड़ों पर सत्ताधारी दल के पक्ष में वोट करने का दबाव डाल रहे हैं। यह आरोप निर्दल उम्मीदवार, पूर्व सांसद धनंजय सिंह के प्रतिनिधि राजेश कुमार सिंह व अन्य लोगों ने लगाये हैं। कई ग्रामीणों ने इन्हें बताया कि रात नौ बजे के आस-पास पुलिस के साथ सरकारी अधिकारी आते है और सत्ताधारी दल भाजपा को वोट करने का दबाव डाल रहे थे। जब एक ग्रामीण ने उनके दबाव का कड़ाई से जवाब दिया तो वे अधिकारी बात से पलटकर कहे कि हमारा कहना है कि मतदान जरुर करिए किसी से डरने की जरुरत नहीं है।
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