- कांग्रेस, भाजपा ने उतारा उम्मीदवार, सपा-बसपा पहले ही कर चुके हैं घोषित
- निर्दल प्रत्याशी के रुप में धनंजय सिंह उतरेंगे मैदान में
हिम्मत बहादुर सिंह
जौनपुर।
मल्हनी विधानसभा उपचुनाव के लिए राजनीतिक दलों ने आखिरकार अपने प्रत्याशी मैदान में उतार दिये हैं तो वहीं पूर्व सांसद धनंजय सिंह अब निर्दल प्रत्याशी के रुप में अपना नामांकन करेंगे। यह सीट सपा के कद्दावर नेता, पूर्व कैबिनेट मंत्री पारसनाथ यादव के निधन के बाद खाली हुई है।
मंगलवार को भाजपा ने जहां मनोज कुमार सिंह को अपना प्रत्याशी घोषित किया तो वहीं कांग्रेस ने अपने पुराने समर्पित कार्यकर्ता राकेश मिश्रा मंगला गुरु को अपना अधिकृत प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतार दिया है। समाजवादी पार्टी ने पहले ही स्व. पारसनाथ यादव के पुत्र लकी यादव को टिकट देकर मैदान में उतारा है तो वहीं बसपा ने जय प्रकाश दुबे को अपना प्रत्याशी बनाया है।
देखा जाय तो यह विधानसभा 2012 में नये परिसीमन में अस्तित्व में आयी थी। इसके पहले इसे रारी विधानसभा के नाम से जाना जाता था। भाजपा की अगर बात की जाय तो 1962 में जनसंघ के श्रीपाल सिंह ने चुनाव जीता था। भाजपा पार्टी बनने के बाद इस सीट पर कमल नहीं खिल सका है। ऐसे में पार्टी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से छात्र राजनीति से उपाध्यक्ष चुने गये मनोज सिंह पर अपना दांव खेला है तो वहीं 1989 में कांग्रेस के टिकट पर अरुण कुमार सिंह मुन्ना विधायक चुने गये थे तब से आज तक कांग्रेस का कोई भी प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत सका। ऐसे में राकेश मिश्र मंगला को अपना प्रत्याशी घोषित कर कार्यकर्ताओं को सम्मान दिया।
सपा की अगर बात की जाय तो स्व. पारसनाथ यादव के सपनों को साकार करने के लिए पार्टी ने उनके पुत्र लकी यादव को टिकट दिया है तो वहीं बसपा ने ब्रााहृण चेहरे के तरजीह देते हुए जयप्रकाश दुबे को अपना प्रत्याशी घोषित कर मैदान में उतार दिया है। ऐसे में देखा जाय तो इस सीट पर अब लड़ाई दिलचस्प होती दिखाई पड़ रही है क्योंकि 2002 से इस सीट पर जब निर्दल प्रत्याशी के रुप में धनंजय सिंह चुनाव जीतकर विधायक बने थे तो 2012 के मल्हनी विधानसभा बनने के बाद इस सीट पर पारसनाथ यादव से सीधी टक्कर हुआ करती थी लेकिन इस बार सपा, बसपा, भाजपा व कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों को घोषित कर मुकाबला दिलचस्प बना दिया है।
देखा जाय तो विगत साढ़े तीन साल की वर्तमान बीजेपी सरकार ने इस क्षेत्र का उतना विकास नहीं हो सकता जितना होना चाहिए था ऐसे में यहां के स्थानीय मुद्दों पर चुनाव होगा और फैसला तीन नवम्बर को जनता को ही करना है।
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