- बेटियां इतिहास रटें नहीं, बल्कि खुद रचें : मुन्नी बेगम
- आक्सफाम व तरुण चेतना ने मिलकर की बाल विवाह पर फिल्म स्क्रीनिंग
नया सबेरा नेटवर्क
पट्टी, प्रतापगढ़। 16 दिवसीय महिला हिंसा विरोधी अभियान के तहत बाल विवाह निषेध व मर्जी बिना शादी नहीं पर आक्सफाम इंडिया, जेंडर एलायंस, मित्रा व तरुण चेतना के संयुक्त तत्वाधान में महिलाओं व किशोरियों के साथ राजकीय इंटर कॉलेज चंदी गोविंदपुर, जामताली में फिल्म स्क्रीनिंग व परिचर्चा का आयोजन किया गया, जिसमें छात्र–छात्राओं ने खुल कर अपनी बात रखी।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में तरुण चेतना के निदेशक नसीम अंसारी द्वारा बाल विवाह रोकने व शादी की कानूनी उम्र बढ़ाने सम्बन्धी केंद्र सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए कहा कि अच्छी शिक्षा, सुरक्षा व आत्मनिर्भरता की दिशा बच्चियों को सशक्त बनाने से बाल विवाह अपने आप रुक सकता है। श्री अंसारी ने जोर देकर कहा कि बाल विवाह रोकने के लिए बालिकाओं को शिक्षित और सशक्त बनाना जरूरत है और इसके लिए सरकार को अलग से कानून बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
कार्यक्रम की शुरुआत में छात्र–छात्राओं को चाइल्डलाइन की फिल्म कोमल के माध्यम से गुड-टच एवं बैड टच के बारे में जानकारी दी गई। इसके अलावा अन्य फिल्मों के माध्यम से बालिका सुरक्षा और जेंडर समानता पर भी समझ बनायी गयी जिसके उपरांत कई छात्र–छात्राओं ने अपने विचार रखे। इसी क्रम में छात्रा रंजना सरोज ने पितृसत्तात्मक समाज से सवाल किया कि आखिर लड़के और लड़कियों में भेदभाव क्यों किया जाता है? इस अवसर पर श्वेता पांडे ने कहा कि हमें भी बेटों की तरह शिक्षा और समानता का अधिकार चाहिए जिसमें लड़कियां अपनी हिम्मत के बल पर हिंसा पर विजय पा सकें। शिखा शर्मा ने कहा लड़कों की तरह लड़कियों को भी खूब पढ़ाना चाहिए ताकि वे अपने साथ होने वाले भेदभाव और हिंसा का हिसाब ले सकें।
इसी क्रम में रूपा बनवासी ने कहा कि शिक्षा के बल पर ही गरीबों की बेटियां अमीरों की बेटियों की तरह आगे बढ़ सकती हैं। कार्यक्रम में सृष्टि सरोज ने कहा कि आखिर दहेज के कारण क्यों जलाई जाती हैं बेटियां—बेटियों पर यह अत्याचार हम कब तक सहन करेंगें?
कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति पुरस्कार विजेता मुन्नी बेगम ने बिना मर्जी शादी नहीं पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि अब किशोरियों को इतिहास रटने की जरूरत नहीं है बल्कि इतिहास रचने की जरूरत है। मुन्नी बेगम ने जोर देकर कहा कि हम बेटियों को भीख नहीं सम्मान चाहिए शिक्षा का अधिकार चाहिए।
कार्यक्रम के संयोजक डॉ. सालिकराम प्रजापति ने कहा कि बेटियों को सशक्त बनाना आज के समय की जरुरत है। हम पुरुषों को चाहिए कि लड़कियों के सुरक्षा व सम्मान के लिए आगे आयें और लिंग भेद की समाप्ति करें।
अंत में कार्यक्रम अध्यक्षता कर रहे कालेज के प्राचार्य इनरु प्रसाद सरोज ने तरुण चेतना के कार्यों की सराहना करते हुए सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के अंत में छात्र–छात्राओं द्वारा बाल विवाह व महिला हिंसा के खिलाफ एक रैली निकली गयी, जिसमें छात्रा साक्षी शर्मा, प्रियंका यादव, संतोष कुमार चतुर्वेदी व आजाद आलम ने भी प्रतिभाग किया।
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