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स्वतंत्रता सेनानी - स्वतंत्रता सैनिक सम्मान पेंशन योजना 1980 - पेंशन आवश्यक प्रमाण, दस्तावेजी साक्ष्यों से ही प्राप्त की जा सकती है - सुप्रीम कोर्ट | #NayaSaberaNetwork

स्वतंत्रता सेनानी - स्वतंत्रता सैनिक सम्मान पेंशन योजना 1980 - पेंशन आवश्यक प्रमाण, दस्तावेजी साक्ष्यों से ही प्राप्त की जा सकती है - सुप्रीम कोर्ट | #NayaSaberaNetwork


नया सबेरा नेटवर्क
शासकीय योजनाओं का लाभ उठाने, संबंधित महत्वपूर्ण कागजी दस्तावेजों, साक्ष्यों को सुरक्षित रखना जरूरी - एड किशन भावनानी
गोंदिया - भारत एक ऐसा देश है जहां अपने अपने स्तर पर हर नागरिक के लिए कोई ना कोई लाभकारी योजना है। यह योजनाएं केंद्र राज्य व केंद्रशासित प्रदेशों में शासकीय स्तर पर अलग - अलग रूप से सभी नागरिकों को प्राप्त होती है, जिसकी एक प्रक्रिया व योग्यता है जिसके आधार पर लाभार्थियों को योजना का लाभ प्राप्त होता है। केंद्रीय स्तर पर स्वतंत्रता सैनिक सम्मान पेंशन योजना 1980 इस योजना के संबंध में संसद में पूछे गए प्रश्न क्रमांक 3724 दिनांक 5 अप्रैल 2017 के अनुसार वर्ष 2016 की स्थिति अनुसार स्वतंत्रता सैनिक सम्मान पेंशन योजना 1980 के तहत पेंशन प्राप्त करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों और उनके पात्र आश्रितों में 33 राज्यों में स्वतंत्रता सेनानियों की संख्या 13013 तथा उनके आश्रितों की संख्या 24443 इस प्रकार कुल लाभार्थियों की संख्या 37460 हैl इसी प्रकार अन्य योजनाओं में, पीएम किसान सम्मान योजना,आयुष्मान भारत योजना,सुरक्षित मातृत्व सुमन योजना,प्रधानमंत्री रोजगार योजना, केंद्रीय बजट 2021 के अनुसार कई योजनाएं, पीएम मोदी गोवर्धन योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, गैस सिलेंडर, शौचालय इत्यादि अनेक हजारों योजनाएं हैं। उसी प्रकार हर राज्य व केंद्र शासितप्रदेशों सरकारों द्वारा भी अपने नागरिकों के लिए भरपूर लाभार्थी योजनाएं दे रखी है, जिसका लाभ नागरिक बखूबी उठा रहे हैं परंतु हर योजना के लाभों को प्राप्त करने के लिए एक पूर्व निर्धारित शासकीय प्रक्रिया होती है जिसका पालन लाभार्थियों को सख्ती के साथ करना होता है जिसमें सबसे महत्वपूर्ण होता है, महत्वपूर्ण दस्तावेजी साक्ष्य, जो योजनाओं का लाभ लेने के लिए सक्षम बनाते हैं।... इसी विषय पर आधारित एक मामला सोमवार दिनांक 22 फरवरी 2021 को माननीय सुप्रीम कोर्ट की माननीय 2 जजों की बेंच के समक्ष जिसमें माननीय न्यायमूर्ति अशोक भूषण व माननीय न्यायमूर्ति सुभाष रेड्डी शामिल थे सिविल अपील क्रमांक 680/2021 जोकि एसएलपी क्रमांक 5343/2019 से उत्पन्न हुई थी याचिकाकर्ता यूनियन आफ इंडिया बनाम प्रतिवादी स्वतंत्रता सेनानी के रूप में आया जिसमें माननीय बेंच ने अपने 16 पृष्ठों और 32 पॉइंटों के आदेश में कहा कि हम दिनांक 28 अगस्त 2018 को पारित मद्रास हाईकोर्ट के मदुरई बेंच के आदेश को खारिज कर याचिकाकर्ता यूनियन ऑफ इंडिया की अपील को अनुमति देते हैं और रिट पिटिशन क्रमांक 17290/2017 को खारिज करते हैं और कहा कि क्या कोई याचिकाकर्ता स्वतंत्रता सैनिक सम्मान पेंशन योजना 1980 की पेंशन के लिए पात्र है यह केस में उपलब्ध दस्तावेज, कागजों, साक्ष्यों पर आधारित होगा आदेश कॉपी के अनुसार बेंच ने कहा कि स्वतंत्रता सैनिक सम्मान पेंशन योजना के तहत पेंशन आवश्यक प्रमाण (प्रूफ) से ही प्राप्त की जा सकती है और इसके अलावा किसी अन्य तरीके से पेंशन नहीं प्राप्त किया जा सकता है। बेंच ने मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश को अलग रखा, जिसमें स्वतंत्रता सैनिक सम्मान पेंशन योजना के तहत प्रतिवादी स्वतंत्रता सेनानी को स्वतंत्रता सेनानी पेंशन देने का आदेश दिया गया था। पीठ ने कहा कि,जब कोई विशेष पेंशन योजना के तहत दावा किया जाता है, जब तक कि कोई पेंशन देने के लिए पात्रता मानदंड को पूरा नहीं करता है, जैसा कि योजना में उल्लेख किया गया है, कोई भी आवेदक इस तरह के पेंशन का दावा नहीं कर सकता है। प्रतिवादी ने 10.04.1997 को स्वतंत्रता सैनिक सम्मान पेंशन योजना के तहत पेंशन देने के लिए आवेदन दिया था, जिसे वर्ष 2004 में प्राधिकरण ने खारिज कर दिया था। इसके बाद, 29.08.2017 को उसने फिर से स्वतंत्रता सैनिक सम्मान पेंशन योजना के तहत पेंशन देने के लिए आवेदन भेजा, जिसमें कहा गया था कि वह भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान 05.01.1944 से 05.07.1944 तक छह महीने से अधिक समय तक जेल में रहा था। जब यह आवेदन लंबित था, उसने उसी समय मद्रास उच्च न्यायालय का भी रुख किया। उच्च न्यायालय ने यह प्रमाणित करते हुए कहा कि एक अनुमोदित प्रमाणकर्ता द्वारा जारी किया गया प्रमाण पत्र पेंशन पाने के लिए पर्याप्त है, केंद्र द्वारा स्वतंत्रता सैनिक सम्मान पेंशन योजना के तहत पेंशन देने और उपयुक्त आदेश पारित करने के निर्देश देकर याचिका का निस्तारण किया। इससे नाराज होकर केंद्र ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया। शीर्ष अदालत ने पाया कि उच्च न्यायालय ने नोटिस जारी किए बिना ही याचिका का निपटारा कर दिया, जो की सही नहीं है। रिट याचिकाकर्ता द्वारा लगाए गए आरोपों का खंडन करने के लिए जवाबी हलफनामा दायर करने का अवसर दिया जाना चाहिए। ...4...पीठ ने कहा कि, प्रमाण की पर्याप्तता के संबंध में, योजना में उन दस्तावेजों का उल्लेख किया गया है जो आवेदन के साथ आवश्यक हैं। दावेदार मानदंड पूरा करता है या नहीं, यह सक्षम अधिकारी का काम है कि वह इसकी जांच करे। आवेदन पर विचार करने से पहले ही सक्षम प्राधिकारी द्वारा न्यायिक समीक्षा की शक्तियों के माध्यम से उच्च न्यायालय को पेंशन के अनुदान के लिए कोई निर्देश जारी नहीं करना चाहिए था। अदालत ने कहा कि, डब्लू. बी. स्वतंत्रता सेनानियों का संगठन बनाम भारत संघ मामले में कहा गया था कि जब सक्षम समिति ने विचार किया और यह माना कि आवेदन आवश्यक दस्तावेजों के साथ सबमिट नहीं किया गया है। इसलिए आवेदन को खारिज कर दिया गया था। इसमें न्यायालय हस्तक्षेप नहीं कर सकता उसी और ऐसे निष्कर्षों को विकृत या अनुचित नहीं कहा जा सकता है। इसके अलावा, भारत संघ बनाम बिकाश आर. भौमिक और अन्य मामले में न्यायालय ने माना था कि 1980 के स्वतंत्रता सैनिक सम्मान पेंशन योजना के तहत पेंशन, आवश्यक प्रमाण (प्रूफ) से ही प्राप्त की जा सकती है और इसके अलावा किसी अन्य तरीके से पेंशन नहीं प्राप्त किया जा सकता है।अपील की अनुमति देते हुए कोर्ट ने कहा कि,यह सच हो सकता है कि पहला प्रति उत्तरदाता को राज्य द्वारा प्रस्तुत योजना के तहत पेंशन मिल रही है, लेकिन इसके साथ ही 1980 के स्वतंत्रता सैनिक सम्मान पेंशन योजना के तहत पेंशन का दावा करने के लिए पहले प्रतिसाददाता को आवश्यक सबूत प्रस्तुत करना होगा। जब किसी विशेष योजना के तहत दावा किया जाता है, जब तक कि कोई पेंशन के लिए पात्रता मानदंड को पूरा नहीं करता है, जैसा कि योजना में उल्लेख किया गया है, तो कोई भी आवेदक ऐसे पेंशन का दावा नहीं कर सकता है। कोई आवेदक 1980 के स्वतंत्रता सैनिक सम्मान पेंशन योजना के तहत पेंशन पाने का हकदार है या नहीं, यह एक ऐसा मामला है जिसे प्रस्तुत तथ्यों और दस्तावेजी साक्ष्यों के माध्यम से तय करना उचित होगा।
संकलनकर्ता कर विशेषज्ञ एड किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र


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