नया सबेरा नेटवर्क
मुम्बई : भारत सरकार के शिक्षा मन्त्रालय के निर्देशानुसार केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, क. जे. सोमैया परिसर, विद्याविहार, मुम्बई द्वारा मातृभाषा दिवस का आयोजन आभासीय रूप से किया गया । इस आभासीय कार्यक्रम में हिन्दी भाषा सलाहकार सदस्य, भारत सरकार के गजेन्द्र सोलंकी ने कहा कि भारत की प्रत्येक मातृभाषा स्वाभिमान की भाषा है, हर एक भारतीय को अपने भाषा के प्रति स्वाभिमान होना चाहिए । किन्तु हमारी ही भाषा श्रेष्ठ है यह नहीं होना चाहिए, एक दूसरे को श्रेष्ठ समझने से ही भारतीय सभ्यता और संस्कृति श्रेष्ठ साबित होगी । हिन्दी को राजभाषा के रूप में संविधान में मान्य किया गया है । जिसको राष्ट्र भाषा का दर्जा दिया जाना चाहिए, तभी भारत को वैश्वीकरण के दौर में विकसित किया जा सकता है । उन्होंने हिन्दी में हर दिल में धड़कता एक प्यारा हिन्दुस्तान, वन्दे हिन्दीमातरम् इन काव्यों के द्वारा राजभाषा हिन्दी के सौन्दर्य को उपस्थित किया । साथ ही प्रवासी भारतीयों के लिए गीत के माध्यम से दिल में हिन्दुस्तान जिन्दा है ऐसा गीत गाकर प्रवासी भारतीयों को समर्पित किया । सोलंकी ने मातृभाषा दिवस के अवसर पर अभासीय रूप से मुख्य अतिथि के रूप में अपने विचारों को व्यक्त किया । इस अभासीय कार्यक्रम में वक्ता के रूप में शिक्षाशास्त्र- विभाग के डॉ. वी.एस.वी भास्कर रेड्डी ने कहा कि तेलगू भाषा स्वयं ही विकसित भाषा है । यह किसी अन्य भाषाओं का अनुकरण करनेवाली भाषा नहीं है । तेलगू एक वैज्ञानिक भाषा भी है । इस अवसर पर मातृभाषा दिवस के संयोजक व आधुनिक विभाग के डॉ. रंजय कुमार सिंह ने अन्तरराष्ट्रिय भाषाओं तथा भारतीय भाषाओं की वर्तमान स्थिति की जानकारी दी । कार्यक्रम की अध्यक्षता करते परिसर के प्रभारी निदेशक प्रोफेसर बोध कुमार झा ने कहा कि हम सभी को अपने मातृभाषा के प्रति श्रद्धा करनी चाहिए क्योंकि मातृभाषा में जितना सरल तरीके से हम समझ और समझा सकते हैं, उतना अन्य भाषा में नहीं । जिसको माता प्रयोग करती है वही मातृभाषा है जिसको शिशु सरलता से समझ लेता है । इसलिए माता, मातृभाषा की प्रथम जन्मदात्री है । उन्होंने कहा कि मानवसभ्यता के आविष्कारों में सबसे श्रेष्ठ आविष्कार मातृभाषा है । इस आभासीय अवसर पर शास्त्री द्वितीयवर्ष की छात्रा यशश्री ने मराठी भाषा में, शास्त्री तृतीयवर्ष के छात्र केयुर कुलकर्णी ने अंग्रेजी भाषा में, शिक्षाशास्त्री प्रथमवर्ष के छात्र प्रयतात्मा रथ ने संस्कृतभाषा में, शिक्षाशास्त्री प्रथमवर्ष के छात्र आशुतोष ठाकुर ने हिन्दी भाषा में, शिक्षाशास्त्री द्वितीयवर्ष के छात्र मयंक तिवारी ने अवधी भाषा में तथा शिक्षाशास्त्री द्वितीयवर्ष के छात्र श्याम किशोर पाण्डेय ने संस्कृत में मंगलाचरण के माध्यम से अपने विचारों के द्वारा अपनी मातृभाषा को प्रकट किये । इस अवसर पर स्वागत गीत प्राक्शास्त्री की छात्रा वेदा साखरे, स्वागतभाषण व्याकरणविभाग के डॉ. नवीन कुमार मिश्र, धन्यवादभाषण साहित्यविभाग के डॉ. धीरज कुमार मिश्र जबकि संचालन डॉ. आधुनिक विभाग के डॉ. रंजय कुमार सिंह ने किया इस मातृभाषा दिवस के कार्यक्रम में सभी शिक्षक, कर्मचारी एवं छात्र आभासीय रूप से उपस्थित थे ।
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