नया सबेरा नेटवर्क
मौत आएगी जिस दिन हम मर जायेंगे,
कूच करने से पहले, कुछ कर जाएंगे।
देश के नौजवानों सुनों कुछ मेरी,
तेरी ऊर्जा से जख्म कितने भर जायेंगे।
माँ करती है नाज़, बेटे की शहादत पे,
वतन के काम आये तो संवर जायेंगे।
पिए जो जाम सरहद पे शहादत का,
वे दूध के ऋण से उतर जायेंगे।
ऐ! इंक़लाब,न बैठ अपाहिज की तरह,
वर्ना कितने यहाँ सपने बिखर जायेंगे।
आँधियों में भी दीये जलाये रखना,
बिना उजाले, आखिर किधर जायेंगे।
गर जंग लाज़मी है, तो जंग ही सही,
लश्कर के पर हम कतर जायेंगे।
लड़ेंगे आखिरी सांस तक चाहे जो हो,
लौटेंगे तिरंगे में,अंतिम सफर पे जायेंगे।
जय हिन्द!! जय हिन्द की सेना!!
रामकेश एम.यादव(कवि, साहित्यकार)मुंबई
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