नया सबेरा नेटवर्क
जौनपुर। कभी-कभी परिवार में ऐसे मोड़ भी आते हैं। जिसका फैसला लेना जीवन में कठिन पड़ जाता है लेकिन जो उन परिस्थितियों में हिम्मत नहीं हारता, समाज में मिसाल कायम करता है। जिले के मुख्यालय से 5 किलोमीटर दूर शीतला चौकियां धाम में राम अजोर माली की 20 वर्ष पहले की बात है। रात्रि में एक दुधमुंही नवजात बच्ची को किसी अज्ञात दंपत्ति ने मन्दिर के पास छोड़कर चला गया। जब बच्ची के रोने की आवाज आई तो मन्दिर के सामने रहने वाले राम अजोर माली की नजर उस बच्ची पर पड़ी, वह भूख से रो रही थी। राम अजोर माली व उनकी माता जी ने बच्ची को दूध पिलाया। सुबह होते ही बच्ची मिलने की बात जंगल में आग की तरह फैल गई। समय बीतता गया। रामअजोर ने बच्ची का पालन पोषण किया। समय बीतने पर राम अजोर की पत्नी लावारिस बच्ची के लिये ताने सुनाने लगी। इसके बाद उन्होंने उस बेटी के कारण फैसला लिया कि वे पत्नी को छोड़ देंगे और उन्होंने ऐसा ही किया। एक लावारिस बेटी के कारण उन्हें अपनी पत्नी को छोडना पड़ा। समय बीतता गया। बेटी जब 21 वर्ष की हुई तब उन्होंने अपने ही स्वजातीय से शादी करने का फैसला किया। एक अच्छा परिवार गाजियाबाद में मिल गया। 16 फरवरी को शादी की शहनाई बजी। गाजियाबाद के एक परिवार का लड़का अच्छा व्यवसाई होने के कारण सर्वगुण सम्पन्न राम अजोर के घर बारात लेकर पहुंचे। रामअजोर माली ने अपनी बेटी का हाथ पीले कर धूमधाम से शादी की। बेटी की शादी में विशेष सहयोगी भूत पूर्व प्रधान मनोज मौर्य ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। क्षेत्र के हर परिवार व समाज के लोगों ने भी इस बेटी की शादी में कन्यादान में भरपूर सहयोग किया। इस शादी में हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे। सुबह बेटी की विदाई के समय जब-जब राम अजोर अपनी आंखों के आशु रोक न पाये तो वह जोर-जोर से रोने लगे। उनके रोने से वहां पर उपस्थित सभी की आंखों से आंसू निकल पड़े। भीगी हुई पलकों से अपनी पूजा बिटिया को अपने घर से विदा किया। आज सभी लोग राम अजोर की सराहना करते हुए थक नहीं रहे है। ऐसे ही लोग धरती पर विधाता की पहचान है।
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