नया सबेरा नेटवर्क
मुंबई: मेवाड़ के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल शिशोदा क्षेत्रपाल भेरुनाथ चेरिटेबल ट्रस्ट मंडल के अध्यक्ष पद पर मेवाड़ के उद्योगपति दानवीर भामाशाह मेवाड़ रत्न समाजरत्न जैसे सैकड़ों सम्मानों से अलंकृत शिशोदा के मूल निवासी एवं मुंबई के सुप्रसिद्ध उद्योगपति एवं समाजसेवी रमेश कुमार हमेरमल धाकड़ की नियुक्ति की गई है। रमेश धाकड़ के इस पद पर नियुक्त किए जाने से पूरे देश में बसे मेवाड प्रवासियों समेत सकल जैन समाज में खुशी की लहर दौड़ गई है। अध्यक्ष नियुक्त होने के बाद रमेश धाकड़ के पहली बार मुुंबई आगमन पर जगह-जगह उनका भव्य स्वागत किया गया। मालाड स्थित मंशापूर्ण क्षेत्रपाल मंदिर में
सैकड़ों भक्तों की मौजूदगी में मंदिर के छोगालाल रोशनलाल सोहनलाल धाकड़ सहित मंदिर ट्रस्ट की तरफ से भव्य सत्कार किया गया। मुंबई के गिरगांव स्थित सनराइज सोसाइटी में प्रवासियों द्वारा उनका लीलाबेन तिलकराज सिंघवी के नेतृत्व में भव्य स्वागत किया गया। इस अवसर पर तेरापंथ युवक परिषद के निवर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारत जैन महामंडल के राष्ट्रीय युवा अध्यक्ष बीसी भालावत, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सेवादल के राष्ट्रीय सेक्रेटरी प्रवासी नेता प्रकाश पी पामेचा, चंपाबेन मेहता, मंजूबेन भगवती लाल सोलंकी, निर्मलाबेन बंशीलाल दुग्गड़, पूजा नीलेश धाकड़, राकेश सिंघवी, संजय सिंघवी, मीना राकेश परमार, अरुण संजय सिंह सहित सैकड़ों पारिवारिक सदस्य व प्रवासी लोग मौजूद रहे। अपने संबोधन में प्रवासी नेता पामेचा ने कहा कि खेतपाल बावजी के ट्रस्ट मंडल के अध्यक्ष पद पर धाकड़ के आने से बहुत ही सुधार होगा। धाकड़ एक सर्वमान्य चेहरा हैं, और शिशोदा मंदिर में 36 कौम के लाखों लोग दर्शन के लिए आते हैं। ज्ञात हो कि शिशोदा मंदिर भेरुनाथ की स्थापना 14 शताब्दी से पूर्व की गई है। ये मंदिर 800 साल पुराना है। एक मान्यता अनुसार महाराष्ट्र के आराध्य छत्रपति शिवाजी महाराज के दादाजी ने शिवाजी के पिताश्री की शादी के वक़्त खेतपाल पूजन की प्रथा के अनुसार खेतपाल पूजन के लिए शिशोदा में एक नमूने को क्षेत्रपाल मान कर पूजा की। वो ही बाद में मंदिर बनकर शिशोदा क्षेत्रपाल के नाम से विश्व विख्यात हुए। आज मेवाड़ राजस्थान ही नहीं, देश-विदेश से लाखों भक्त अपने आराध्य कलयुग में साक्षतात चमत्कारी क्षेत्रपाल के दर्शन को आते हैं। जग महोत्सव पर
समूचे देश से हजारों भक्तगण पैदल अथवा साइकिल से चलकर आते हैं। वैसे हर रविवार मंदिर में भव्य मेला लगता है, जिसमें हजारों लोग शामिल होते हैं। चौहदवीं शताब्दी में स्थापित इस मंदिर में दर्शन करने आने वाले सभी भक्तों की मनोकामना पूरी होती है, ऐसी मान्यता है। पामेचा ने विश्वास जताते हुए कहा कि इस भव्य मंदिर के ट्रस्ट के अध्यक्ष पद पर धाकड़ के आने से यहां का चहुंमुखी विकास होगा, और भक्तों को ओर भी ज्यादा सुख-सुविधा मिलेगी।
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