पूर्वजों ने विज्ञान की व्याख्या धर्म के माध्यम से की थी: डा. विनोद | #NayaSaberaNetwork

वैक्टिरियां फेज वायरस के चलते गंगा नदी का पानी नहीं होता खराब
बच्चों द्वारा बनाए गए माडलों का कराया गया मूल्यांकन
21 मार्च को समापन के दिन विजयी टीम को किया जाएगा पुरस्कृत
नया सबेरा नेटवर्क
जौनपुर। नेहरू बालोद्यान सीनियर सेकेण्डरी स्कूल जौनपुर में आयोजित पॉच दिवसीय मोटिवेशनल साइन्स कैम्प के तीसरे  दिन मुख्य वक्ता के रूप में विचार व्यक्त करते हुए दिल्ली वि·ाविद्यालय के जीव विज्ञान के प्रो. विनोद कुमार दूबे ने कहा कि प्रकृति का नियम ही धर्म है। हमारे पूर्वजांे ने विज्ञान की व्याख्या धर्म के माध्यम से की थी उन्हंे लगता था की विज्ञान की भाषा हमारे आम जनमानस के समझ में नहीं आयेगी इसलिए उन्हांेने विज्ञान की गूढ़ बातांे को धर्म के माध्यम से समाज के सामने प्रस्तुत किया। पूर्वजांे ने इसीलिए गंगा नदी को मां की संज्ञा दी तथा पीपल के पेड़ में देवता का वास बताया वे जानते थे कि गंगा नदी मात्र एक ऐसी नदी है जिसमें वैक्टिरिया फेज वायरस पाये जाते हैं जिसकी वजह से गंगा नदी का पानी बहुत दिन तक सड़ता नहीं। इसी प्रकार पीपल का पेड़ रात और दिन आक्सीजन देता है जो प्रत्येक जीवधारी के लिए आवश्यक है। इन बातो को समझाने के लिए पूर्वजो ने धर्म का माध्यम बनाया। 


कार्यक्रम के दूसरे वक्ता आईटी कानपुर के नरेन्द्र कुमार ने भौतिकी के गुण विषयांे को सरल ढ़ग से बच्चों को समझाया। कार्यक्रम के दूसरे सत्र में सभी बच्चों द्वारा बनाये गये माडल का निरीक्षण और मूल्यांकन कराया गया जिसका परिणाम 21 मार्च को समापन के अवसर पर पुरस्कार वितरण के साथ किया जायेगा। 


कार्यक्रम मंे अन्य लोगांे के अलावा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी भारत सरकार के डा. वी.पी. सिंह, दिल्ली वि·ाविद्यालय के संजय भरद्वाज तिलकधारी महाविद्यालय के डा. एस.के. वर्मा तथा डा. नरेन्द्र पाल सिंह उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अन्त में कार्यक्रम के समन्वयक डा. सी.डी. सिंह ने सभी वक्ताओं को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन अरविन्द सिंह ने किया। कार्यक्रम में 9 विभिन्न विद्यालयों के 80 छात्र-छात्राएं प्रतिभाग कर रहे हैं।






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