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कार्यपालिका को न्यायपालिकाओं के आदेशों का पालन करना संवैधानिक और जनहित में बाध्यता - एड किशन भावनानी
गोंदिया - भारत के संवैधानिक और संघीय ढांचे के निर्माताओं ने ऐसी सुव्यवस्था पूर्वक ढांचागत नीतियों का निर्माण किया है, जिस उसके दायरे में नागरिकों सहित खुद कार्यपालिकाऐं भी आती है। अतःभारतीय संविधान और संसद और विधानसभाओं द्वारा पारित सभी कानूनों को मानने व उसके अनुसार चलने की बाध्यता सरकारों सहित हर नागरिक की भी है। भारतीय न्यायपालिका प्रणाली के माध्यम से हर नागरिक को अपने पर हो रहे अन्याय या किसी कारणवश हो रही प्रताड़ना जो कार्यपालिका द्वारा अनसुना कर दिया जाता है, उसको अपनी व्यथा सुनाने न्यायालय को गुहार लगानी पड़ती है जहां से हर भारतीय नागरिक को न्याय पाने की आस बंधी रहती है और विश्वास रहता हैl बात अगर हम हर छोटे बड़े गांव से लेकर शहर तक की करें तो आजकल अनधिकृत बोर्ड, बैनर, होर्डिंग, फ्लेक्स, भारी मात्रा में देखने को मिलते हैं,जो केवल अब चुनाव तक ही सीमित नहीं रह गए हैं, आजकल हर एक प्रोग्राम, जन्मदिन, वर्षगांठ, कोई राजनीतिक पद मिलने,दोस्तभाई बंधु की कोई छोटी बड़ी उपलब्धि, पर भारी मात्रा में कतार में अनधिकृत होर्डिंग बोर्ड लगाए जाते हैं, आजकल इस तरह की बातें धार्मिक आयोजनों में भी एक प्रचलन सा बन गया है। इन होल्डिंग्स, फ्लेक्स को लगाने के भी नियम, विनियम बने हुए हैं इसका क्रियान्वयन करना स्थानीय निकायों के अधीन रहता है। परंतु उनकी भी मजबूरी है कि, ऊपर से दबाव में स्थानीय निकायों के अधिकारी भी ठोस कार्रवाई नहीं कर पाते।... इसी से जुड़ा एक मामला माननीय केरला हाईकोर्ट में बुधवार दिनांक 3 मार्च 2021 को माननीय सिंगल जज बेंच माननीय न्यायमूर्ति देवेंद्र रामचंद्रन की बेंच के समक्ष रिट पिटिशन (सिविल) क्रमांक 22750/2018 याचिकाकर्ता बनाम स्टेट आफ केरला और 19 अन्य, के रूप में आया माननीय बेंच ने इस मुद्दे पर दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के पश्चात अपने 6 पृष्ठों के आदेश में काफी नाराजगी व्यक्त की और कहा कि, मैंने इस संबंध में 25 से अधिक आदेश पारित किए हैं परंतु नोडाउट, जब तक संबंधित अथॉरिटी और अधिकारियों द्वारा कठोर कार्रवाई नहीं की जाती तबतक यह सब ऐसे ही होता रहेगा। उल्लेखनीय है कि, यह बोर्ड, फ्लेक्स, लगाने के कुछ नियम कायदे व शर्तें तथा शुल्क होता है जिसका पालन और भुगतान करना,लगाने बोर्ड लगाने वालों को अनिवार्य होता है। आगे आदेश कॉपी के अनुसार बेंच ने निर्वाचन आयोग से यह आग्रह किया कि अनधिकृत बोर्ड, बैनर तथा होर्डिंग सार्वजनिक स्थानों पर स्थापित न किए जाएं। माननीय बेंच ने 25 आदेशों के बावजूद, इन वस्तुओं को हटाने में निष्क्रियता पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, इसमें कोई शक नहीं कि अधिकारी जब तक कड़ी कार्रवाई नहीं करते, तो अनधिकृत बोर्ड़/बैनर/फ्लैग के द्वेष दूर नहीं किए जा सकते।यह स्पष्ट है कि इस मामले में मेरे 25 से अधिक आदेशों के बावजूद मौजूदा निहित स्वार्थ अब भी निषिद्ध कामों के लिए निहित हैं। यह मत देते हुए कि आने वाले राज्य चुनावों से स्थिति और बदतर हो जाएगी, न्यायालय ने निर्वाचन आयोग को यह निर्देश दिया कि राजनीतिक दलों ने अनधिकृत होर्डिंग, बोर्ड, ध्वज और सार्वजनिक स्थानों पर अन्य सामग्री खड़ी न करें ऐसा निर्देश सभी राजनीतिक पार्टियों को दें।न्यायालय ने स्पष्ट किया कि निर्वाचन आयोग के पास सक्षमता है और उसे पूर्ण अनुपालन के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं करने की पूरी आजादी है। सुनवाई के दौरान, स्टेट अटॉर्नी ने अदालत को आश्वासन दिया कि अनधिकृत बोर्ड को हटाने के लिए जिला कलेक्टरों और संबंधित पुलिस अधिकारियों द्वारा सभी कदम उठाए जा रहे हैं हालांकि कोविड-19 के कारण आई समस्याओं और अन्य कारणों से भी कलेक्टर को इस कार्य को करने में समस्याएं उत्पन्न हुई है ऐसा माननीय एमिकस क्यूरी हरीश वासुदेवन को पेश किया, लेकिन उन्होंने कहा, नए बोर्ड केरल में सार्वजनिक स्थानों पर रखे गए और किसी प्राधिकारी द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही जिससे कि अपराध करने वाले और अनाधिकृत काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा था। अदालत ने एमीकस क्यूरी का यह निवेदन भी दर्ज किया कि चुनाव कार्य सौंपे गए अधिकारियों ने निर्देश लागू करने का प्रयास करते हुए भी राजनीतिक दलों द्वारा उन्हें रोका जा रहा था। यह कहते हुए कि न्यायालय ने एमिकस के प्रस्तुतियों के प्रकाश में ईसी को निर्देश देने पर राजी किया गया था, न्यायालय ने आदेश जारी किए और जिला कलेक्टरों को अभिलेख अनुपालन रिपोर्टों पर प्रस्तुत करने के लिए आदेश जारी किए। इस दिशा में माननीय बेंच ने 24 मार्च तक मामले को स्थगित कर दिया।विशेष रूप से, फरवरी में उच्च न्यायालय की प्रधान न्यायाधीश की पीठ ने आदेश दिया था कि सभी अनधिकृत बोर्ड, बैनर,होर्डिंग, फ्लेक्स,प्लाकार्ड और बैनरों सहित खंभे या फ्रेम इत्यादि, जो भूमि पर स्थायी और/या खोदे गए हैं, जो राजमार्गों, सार्वजनिक सड़कों और पैदल सड़क मार्ग को छोड़ कर आगे की ओर हटा दिए जाएंगे मुख्य न्यायाधीश एस. मनीकुमार और न्यायमूर्ति शाजी पी. चेली ने इस प्रकार, सार्वजनिक सड़कों और सड़कों पर रखे जाने वाले अनधिकृत और अवांछित पदों को दूर करने के लिए याचिकाओं का एक समूह उठाने का आदेश दिया था माननीय बेंच ने अगली सुनवाई 24 मार्च 2021 को रखी है।
-संकलनकर्ता कर विशेषज्ञ एड किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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