नया सबेरा नेटवर्क
सामान्य सीट पर हर जाति के लोग लड़ सकते हैं चुनाव
इस व्यवस्था से खासा परेशान हैं सामान्य वर्ग के लोग
हिम्मत बहादुर सिंह
जौनपुर। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर सरगर्मियां धीरे-धीरे बढ़ रही है। ग्राम सभाओं का आरक्षण सूची जारी होने के बाद प्रधान पद का चुनाव लड़ने वाले कुछ लोगों के मनसूबों पर पानी भले फिर गया लेकिन कुछ दावेदार तो ऐसे हैं जो आपत्तियां डाल कर अपने पक्ष में आरक्षण कराने का ताना-बाना बुन रहे हैं। आरक्षण के बाद मौजूदा समय में 1740 ग्राम सभाओं की सूची जारी हुई है। सूची जारी होने के बाद बड़े पैमाने पर आपत्तियां भी पड़ी हैं। उसमें 138 अनुसूचित जाति महिला, 245 अनुसूचित जाति, 165 पिछड़ी जाति महिला, 311 पिछड़ा वर्ग, 283 अनारक्षित महिला तथा 598 सामान्य सीट है। शासन के आरक्षण व्यवस्था से अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग के लोग आराम से चुनाव लड़ लेगें। पिछड़ा वर्ग के लोग एवं अनुसूचित जाति के लोग तो सामान्य वर्ग के सीट पर चुनाव लड़ सकते है लेकिन सामान्य वर्ग के साथ सबसे बड़ी विडंबना यह है कि वह केवल सामान्य वर्ग की सीट पर ही चुनाव लड़ सकते हैं। इस व्यवस्था में बदलाव की जरूरत है तभी समाज में समानता आ सकती है लेकिन ऐसी व्यवस्था अपने लोकतंत्र में दूर-दूर तक नहीं है। फिरहाल मौजूदा समय में प्रधान पद एवं जिला पंचायत सदस्य एवं बीडीसी सदस्य के दावेदार अपने-अपने पक्ष में माहौल बनाने में जुट गए हैं। सुबह शाम प्रणाम एवं दावतों का दौर भी धीरे-धीरे बढ़ने लगा है। उधर प्रधानी के चुनाव में अधिक से अधिक वोट हथियाने के लिए मदिरा का भी स्टाक बनने लगा है। फिलहाल मदिरा के मुद्दे पर जिला प्रशासन की निगाहें अभी से लगी है हुई है कि कोई स्टाक न बनाने पाएऔर भट्टों पर उतरने वाली देशी शराब भी उत्पादन न होने पाए। जिला प्रशासन त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से निष्पक्ष ढंग से कराने में जुटा हुआ है।
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