नया सबेरा नेटवर्क
शहर समता विचार मंच की महिला काव्य गोष्ठी आयोजित
जौनपुर। शहर समता विचार मंच की महिला काव्य गोष्ठी आयोजित की गई। काव्य गोष्ठी की राष्ट्रीय अध्यक्ष रचना सक्सेना की अध्यक्षता और महिला काव्य गोष्ठी की जौनपुर ईकाई की अध्यक्ष डॉ. मधु पाठक एवं चेतना सिंह चितेरी के कुशल संयोजन संचालन में गूगल मीट ऐप के द्वारा हुई। काव्य गोष्ठी की मुख्य अतिथि पूर्वांचल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. डॉ. निर्मला मौर्य एवं प्रो. डॉ. उर्मिला सिंह, राज कॉलेज तथा विशिष्ट अतिथि प्रो. डॉ. ज्योत्सना श्रीवास्तव एवं प्रो. डॉ सुधा सिंह (चीफ़ प्राक्टर, राज कॉलेज) थीं। सभी ने शहर समता विचार मंच को अपना शुभाशीष प्रदान किया। काव्य गोष्ठी का आरंभ मां सरस्वती की वंदना से हुआ। मां सरस्वती की वंदना और स्वागत गीत डॉ. सुमन सिंह ने बड़े ही सुरीले अंदाज में प्रस्तुत किया। डॉ. मधु पाठक ने नारियां शक्तियां हैं, हैं शक्तियां नारियां, ये परमब्रहम कुछ मधुमयी शक्तियां.. डॉ. पूनम श्रीवास्तव - मेरी जगत में क्या हेठी हुई है कि फिर घर में बेटी हुई है.. नीना मोहन श्रीवास्तव - चलो-चलो नंदबाबा के द्वार, सब मिल खेले फाग-फुहार। मन में भर कर उल्लास, गायें होली मेघ-मल्हार.. चेतना चितेरी -हे संध्या! रुको! थोड़ा धीरे-धीरे जाना, इतनी जल्दी भी क्या है!, लौट आने दो! उन्हें अपने घरों में, जो सुबह से निकले हैं दो वक्त रोटी की तलाश में.. तनु सिंह- एक दिन की बात है, बड़ी भयानक रात है... हेमलता सिंह प्रियंका - ए! जिंदगी! तुझसे शिकायत नहीं, बस उलझनों का दौर है, हर काम समय पर हो जाता है, पर, कुछ उलझनों में फंस जाता है.. डॉ. सुमन सिंह - निगाहें आसमां पर हो, जमीं पर पांव हो आली... निरुपमा मौर्या - व्यथित मनुष्य के ये चित्कार, क्या है जीवन का आधार, हो आकाशदीप की ज्योत, तुम हो जीवन की स्रोत, जागो हे नारी महान.. डॉ. नीलू सिंह - जय हो! जवान! जय हो! किसान!, जग गाता तेरा गुनगान, धरती मां ने जने दो ही लाल महान, एक है जवान, एक है किसान.. डॉ. मधुलिका - वार कर दूसरों पर जिंदगी, जो दें खुशियों का पैगाम, ऐसे जवान को खुदा भी आकर करें सलाम आदि भावपूर्ण रचनाएं प्रस्तुत करके अपनी लेखनी की शक्ति से परिचित कराया। सुंदर और सार्थक रचनाओं के माध्यम से सभी कवयित्रियों ने मन मोह लिया।
अंत में अध्यक्षता कर रही राष्ट्रीय अध्यक्षा रचना सक्सेना ने जौनपुर ईकाई की अध्यक्षा डॉ. मधु पाठक को और चेतना चितेरी को सुंदर संयोजन और संचालन की बधाई दिया और साथ ही राष्ट्रीय अध्यक्ष रचना सक्सेना जी ने अपनी मार्मिक कविता सुनाकर चिंतन-मनन के लिए प्रेरित किया। उन्होंने प्रस्तुत किया — झकझोरा प्रश्न अक्सर आज यह, मर रही नित वेदनाएं आज क्यों? आंख की कोरों में गीलापन नहीं, सूखा पड़ा मर्म का यह वक्ष क्यों? नीना मोहन श्रीवास्तव जी ने आभार ज्ञापित किया। वहीं डॉ. मधु पाठक ने — जीतती हैं हृदय और विश्वास तक, अब तो जाने लगीं हैं आकाश तक, नारियां शक्तियां हैं, हैं शक्तियां नारियां, ये परम ब्रह्म की मधुमयी शक्तियां... सुनाकर सबका आभार प्रकट किया।
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