नया सबेरा नेटवर्क
दर्द ए दिल की जुबानी नही है मेरी
दास्तान है पूरी कहानी नही है मेरी
मेरे अश्कों में ही गमों का है समंदर
किस्सा कोई तर्जुमानी नही है मेरी
खिली धूप में भी आलम गम का है
बहार अब कोई सुहानी नही है मेरी
अब तो सिर्फ तन्हाई रास आती है
अब भी यादें पुरानी नही है मेरी
क्या कहा करते थे छोडूंगा न कभी
इसलिए आंखों में पानी नही है मेरी
ढल गई उम्र भी इंतज़ार करते करते
ऐ हयात अब वो जवानी नही है मेरी
खुशनुमा हयात
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