नया सबेरा नेटवर्क
=================
नीद के स्वप्न होते हैं सच्चे नहीं
भाव केवल क्षणिक मात्र हीं होता है
लाभऔ हानि जीवन मरण जो भी हो
जागते हीं वो स्वप्नों में खो जाता है
जीते जी कोई पाता नहीं पार है
स्वप्न का रोग यह सारा संसार है।
स्वप्न हम देखते ब्याधि से हैं घिरे
सामने मृत्यु आकर खड़ी हो गई
वैद्य उपचार करता विविध रूप से
पर बिना जागे पीड़ा बड़ी हो गई
सच्चे अर्थों में जीवन भी उपहार है
स्वप्न का रोग यह सारा संसार है।
स्वप्न जीवन की बनती पहेली भी है
सबके सुख-दुःखकी यह एक सहेली भी है
हर्ष जड़ता का सुन्दर समन्वय भी है
स्वप्न जीवन में जयऔर पराजय भी है
स्वप्नलौकिक जगतका भी प्रतिहार है
स्वप्न का रोग यह सारा संसार है।
स्वप्न की भांति संसार भी है जटिल
देखने में सहज सब उलझ जाते है
ज्ञान संसार का हो गया है जिसे
वह उलझते हुए भी सुलझ जाते है
मिलती उनको नहीं फिर कभी हार है
स्वप्न का रोग यह सारा संसार है।
त्यागकर स्वप्न का मोह जागेंगे जब
प्रभु कृपा भव निशा पार हो जाएगी
दूर होगी विषय वासना जीव की
कामनाएं सहज भाव सो जाएगी
तब दिखेगाजगत अपना परिवार है
स्वप्न का रोग यह सारा संसार है।।
रचनाकार- डॉ. प्रदीप कुमार दूबे
(साहित्य शिरोमणि) शिक्षक/पत्रकार
मो. 9918357908
from Naya Sabera | नया सबेरा - No.1 Hindi News Portal Of Jaunpur (U.P.) https://ift.tt/3tTTYmU
Tags
recent