नया सबेरा नेटवर्क
कोरोना के डर से नही करने दिया अंतिम संस्कार, पुलिस बनी मददगार
चेतन सिंह
बरसठी, जौनपुर। हम एक मुश्किल दौर से गुजर रहे है। एक ऐसा दौर जो न जाने कब जाके थमेगा, कहा जाकर रुकेगा न जाने कितने आशु देकर जाएगा ऐसा वक्त आ गया है जिसमे इंसानियत की सारी सीमाए टूट चुकी है। दरशल हम बात कर रहे है बरसठी विकास खंड के राघोपुर ग्राम पंचायत के राजस्व गांव अम्बरपुर की जहां एक बुजुर्ग अपनी कोरोना संक्रमित मृत पत्नी का शव लिए इसलिए सायकिल पर लादकर भटकता रहा क्योंकि इस बीमारी से डरे समाज ने उसे पत्नी के अंतिम संस्कार की इजाज़त नहीं दी। जरा सोच कर देखिए उस बुजुर्ग का दर्द जो अपनी सायकिल पर मृत पत्नी का शव लिए घूम रहा था। उसकी बेचारगी और उसके आस-पास रह रहे लोगो की बेरुखी जो उसे अपनी ही पत्नी का दाह संस्कार करने से रोक रहे थे, लेकिन यह तकलीफ़ का एक शिरा है। इसका दूसरा शिरा पकड़ने के लिए फ्लैश बैक में चलते है। बताया जा रहा है की दो दिन पूर्व गांव निवासी तिलकधारी सिंह की पत्नी 56 वर्षीय राजकुमारी की तबियत अचानक बिगड़ गई। कोरोना के इस काल मे जरा सा सर्दी-ज़ुखाम हो जाए तो इंसान डर जाता है कि कही कोरोना तो नही हो गया। पत्नी की हालत ज्यादा बिगड़ने पर पति तिलकधारी उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया जहां उपचार के दौरान उसने दम तोड़ दिया। सिस्टम के निक्कमे पन ने एक और जान लेली, हुकूमत के लिए यह जान केवल आंकड़ा है मगर जिसके घर का सदस्य चला गया उसका दर्द कौन समझेगा मगर बदकिस्मती यहां पर खत्म नही होती। आगे का मामला और भी दर्दनाक है। तिलकधारी एम्बुलेंस से शव लेकर गांव पहुचे। अंतिम संस्कार के लिए शव घाट तक ले जाने के लिए गांव वालों से सहयोग मांगा, लेकिन कोरोना से मौत बताकर उनके दुख में भी शामिल होने कोई आगे नही आया। हालात के आगे बेबस पति तिलकधारी को और कोई उपाय नही दिखा तो पत्नी के शव को अपनी साइकिल के पैंडल के बीच मे डालकर अकेले ही अंतिम संस्कार की ठान ली और शव को नदी किनारे लेकर चल पड़ा। बात यहां तक तो ठीक थी मगर इसके बाद हद तो तब हो गई जब लोगो ने कोरोना संक्रमित शव कहकर बुजुर्ग को नदी किनारे घाट पर रोक दिया। बुजुर्ग पति तिलकधारी घण्टो पत्नी का शव सायकिल पर लिए भटकते रहे। चार कंधे तो छोड़िए कोई देखने को तैयार नही हुआ। किसी तरह इंसानियत को शर्मसार करने वाली इस घटना की जानकारी पुलिस को लगी तो बुजुर्ग के आँसू पोछने के लिए मड़ियाहूं थाना प्रभारी मुन्नाराम धुसिया अपने दस्ते के साथ पहुचे और शव को कंधा भी दिया व पूरे रीति-रिवाज से वाहन उपलब्ध कराकर जौनपुर के रामघाट पर अंतिम संस्कार भी कराया। घटना के बाद इस मार्मिक तस्वीर सोशल साइड्स पर वायरल हो गई तो पूरे जिले में लोगो को झकझोर दिया, लोगो द्वारा इस मार्मिक तस्वीर को देखकर अधिक पीड़ा हो रही है वही चर्चाओं का बाजार भी गर्म है। वैसे यह ठीक है कि यह अत्यंत मुश्किल घड़ी है महामारी का दौर है कोरोना से सब डरे है। मगर इस डर के साए में भी इंसानियत को बचा कर रखना होगा, भवनाओं को जिंदा रखना होगा आगे बढ़कर हाथ थामना होगा दुनिया मे महामारियों के न जाने कितने इतिहास है हमने उन सब पर क़ामयाबी पाई है और यह सब के साथ आने पर मुमकिन हो पाया है इसलिए ऐसे मुश्किल दौर में एक-दूसरे का हाथ थामे रहिए यही वक्त का तकाज़ा है।
इस बाबत सीओ एसपी उपाध्याय ने कहा कि, लोगो द्वारा नदी किनारे दाह संस्कार का विरोध करने पर पुलिस ने मौके पर पहुचकर कफ़न व वाहन के इंतेजामात करा कर इंसानियत की मिशाल पेश की है।
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