नया सबेरा नेटवर्क
काश, ये जबान होती फूलों की,
ये दुनिया होती, सिर्फ फूलों की।
कांटा बोनेवाले न होते जहां में,
यक़ीनन कायनात होती फूलों की।
महकती रातरानी, जगह - जगह,
आती हवाओं से खुशबू फूलों की।
बुरे दिन हैं आज,अच्छे भी आएँगे,
अगर सबकी सोच होगी फूलों की।
स्कूल भी खुलेंगे और कॉलेज भी,
अगर बात चलेगी उन फूलों की।
फूल बरसेंगे तब नीले गगन से,
वो नदिया भी बहेंगी फूलों की।
होगी न जंग तब अखिल विश्व में,
बहेगी अमन की बयार फूलों की।
नफ़रत के सारे पर, कट जायेंगे,
रहेगी महफूज़ डाल उन फूलों की।
निकलें जो अल्फाज़, हों फूलों के,
खुदा करे कि दुनिया हो फूलों की।
चाँद को चुगेगा न तब कोई पंछी,
तब चाँदनी भी होगी फूलों की।
रामकेश एम.यादव(कवि, साहित्यकार), मुंबई
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