नया सबेरा नेटवर्क
मुंबई : कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाई गईं नई पाबंदियों का भाजपा के बंगाली समुदाय के नेता तथा बंगाली स्वर्ण शिल्पी कल्याण संघ के संस्थापक राधानाथ मोदक ने कड़ा विरोध किया है। उनका कहना है कि ठाकरे सरकार को ऐसा कदम उठाना चाहिए, जिससे कि कोरोना भी कम हो जाए और लोगों का जनजीवन भी चलता रहे। कारोबारियों का कम से कम नुकसान हो और रोजगार-धंधा भी चलता रहे। गौरतलब है कि सोमवार से लगाई गई पाबंदियों को मंगलवार से और कड़ाई से लागू किया गया, जिसका भारी विरोध हो रहा है। कालबादेवी, भूलेश्वर, बोरिवली, भांडुप जैसे मुंबई के अन्य हिस्सों में व्यापारी वर्ग सड़कों पर उतर आया। पुलिस को उन पर नियंत्रण पाने में काफी मुश्किल हुई। कई इलाकों में जहां दुकानें खुली दिखाई दीं, वहीं कुछ इलाकों को पुलिस ने पूरी तरह से बंद करा दिया। बोरिवली पूर्व में दुकानें बंद करा दी गईं, जबकि पश्चिम में ज्यादातर दुकानें खुली दिखाई दीं। इससे व्यापारी सड़क पर उतर गए। हाथ में तख्तियां लेकर विरोध किया। दुकानों के सामने विरोध का बोर्ड लगा दिया। लोगों की नाराजगी को देखते हुए राधानाथ मोदक ने ठाकरे सरकार से गुजारिश की कि वे एक बार फिर से पाबंदियों पर विचार करें। पाबंदियों की मार झेल रहे लोगों से मिलकर मुख्यमंत्री उनकी बात सुनें। उन्हें राहत मिलना जरूरी है। मोदक ने कहा कि मुख्यमंत्री ने जिस तरह पांच दिन की पाबंदी जारी की है, उससे लोग नाराज हैं। लोगों के कारोबार पर बुरा असर पड़ रहा है। कुछ जगहों पर लोग विरोध करते हुए सड़कों पर उतर आए हैं। राधानाथ मोदक ने कहा कि सरकार के निर्णय से लगता है कि पाबंदी लगाने से पहले सरकार ने विविध क्षेत्रों से जुड़े कारोबारियों के साथ विचार नहीं किया। इन पाबंदियों का बहुत बुरा असर पड़ेगा। राज्य की अर्थव्यवस्था को बहुत ज्यादा नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि जिस तरह की पाबंदी लगाई गई है, ऐसा लगता है कि यह तो अघोषित एक महीने का लॉकडाउन है। मोदक ने कहा कि रिटेलर्स, छोटे दुकानदार, होटल, सैलून जैसे अन्य कारोबार पर पाबंदियों को लेकर फिर से विचार-विमर्श करें। उन्होंने कहा कि कोरोना पर नियंत्रण पाना जरूरी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि ऐसी पाबंदी लगाई जाए जिससे कि सब तबाह हो जाए। इससे तो कारोबार और जनजीवन दोनों प्रभावित होंगे। सरकार को नए सिरे से पाबंदियां पर विचार करना चाहिए, जिससे कि कोरोना पर नियंत्रण पाया जा सके, साथ ही लोगों जनजीवन भी कम से कम प्रभावित हो।
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