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कोरोना की दूसरी लहर से भारतीय अर्थव्यवस्था प्रभावित - रणनीतिक रोडमैप से भविष्य में तेजी से जीडीपी ग्रोथ रेट में बढ़ोतरी होने का अनुमान - एड किशन भावनानी
गोंदिया - वैश्विक रूप से कोविड-19 ने भारी जनहानि के साथ -साथ आर्थिक मोर्चे पर भी सभी देशों को भारी क्षति पहुंचाई है। जिसके कारण विश्व के पूर्ण विकसित देशोंकी भी अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। हालांकि कुछ देशों ने कोरोना वैक्सीन का निर्माण कर तेजीसे अपने देशके नागरिकों को वैक्सीनेशन कर कोरोना महामारी के संक्रमण के बढ़ते प्रसार पर काबू पाने की ओर कदम बढ़ा दिए हैं जिसके कारण वहां स्थिति धीरे-धीरे सामान्य होने का अनुमान लगाया जा रहा है और लॉकडाउन हटाने, मास्क का बंधन धीरे-धीरे समाप्त करने और जिंदगी सामान्य रूप से जीने की ओर कदम बढ़ गए हैं और वहां की अर्थव्यवस्था में भी अब मजबूती आने और जीडीपी ग्रोथ रेट भी तेजी से बढ़ने की संभावनाएं। अनेक आर्थिक क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों और संयुक्त राष्ट्र संघ की आर्थिक सामाजिक मामला विभाग द्वारा दी गई आर्थिक स्थिति संभावना रिपोर्ट में भी अमेरिका और चीन की अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार के चलते संयुक्त राष्ट्र संघ ने मंगलवार दिनांक 11 मई 2021 को जारी वैश्विक आर्थिक स्थितिव संभावना रिपोर्ट 2021 के लिए वैश्विक आर्थिक वृद्धि के पूर्वानुमान को संशोधित कर 5.4 प्रतिशत कर दिया है और चेतावनी भी दी है कि कोविड-19 मामलों में बढ़ोतरी और वैक्सीनेशन की अपर्याप्त उपलब्धता के कारण कई देशों में सुधार की प्रक्रिया बाधित हो सकती है। शुक्रवार दिनांक 14 मई 2021 किसानों के लिए शुभ दिन आया किसान सम्मान निधि की 8 वीं किस्त जिसमें 9.5 करोड़ किसान परिवारों के खातों में 19 हज़ार करोड़ डाले गए प्रत्येक के खाते में 2000 रुपए ट्रांसफर माननीय प्रधानमंत्री ने किया और कुछ लाभार्थी किसानों से वर्चुअल संवाद भी किया जो हमने टीवी चैनलों पर लाइव देखे और सुने।...बात अगर हम भारतीय अर्थव्यवस्था की करें तो वर्ष 2020 से जब से भारत पर कोरोना का घातक प्रहार हुआ है भारतीय अर्थव्यवस्था और उसका जीडीपी का काफी विपरीत प्रभाव देखने को मिला है। पिछले वर्ष राष्ट्रीय लॉकडाउन लगाया गया था और पूरा देश एक तरह से स्थगित हो गया था प्रवासी मजदूरों में अफरा-तफरी मची थी क्योंकि हर क्षेत्र के परिवहन को बंद कर दिया गया था और अर्थव्यवस्था चरमरा गई थी जिसमें प्रधानमंत्री को 20 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज की भी घोषणा करनी पड़ी थी और वर्ष के अंत में महामारी से कुछ राहत मिली थी और अर्थव्यवस्था की गाड़ी पटरी पर आ रही थी कि लेकिन वर्ष 2021 में फिर फरवरी माह से कोरोना महामारी में एकाएक तेजी आना शुरू हो गई जिससे प्रधानमंत्री ने जनता के नाम संदेश में राष्ट्रीय लॉकडाउन के स्थान पर सभी राज्यों को लॉकडाउन संबंधी अधिकार विकेंद्रित कर दिए और राज्यों को अपने स्तर पर लॉकडाउन लगाने के अधिकार दिए गए क्योंकि हमने 2020 के अनुभव देखे थे कि प्रवासी मजदूरोंज कृषको, कारोबारियों, रेहड़ीपटरी वालों, सहित आम नागरिकों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। जिसके लिए 2021 में इस रणनीति का रोडमैप तैयार किया गया ताकि अफरा-तफरी ना मचे और आर्थिक चैन भी न टूटे.... हालांकि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, कैट व्यापारिक संघ, अमेरिका के मुख्य चिकित्सा सलाहकार इत्यादि ने राष्ट्रीय लॉकडाउन की वकालत की थी। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और टीवी चैनलों द्वारा बताई रिपोर्ट्स के अनुसार मंगलवार दिनांक 11 मई 2021 को संयुक्त राष्ट्रसंघ के आर्थिक सामाजिक मामला विभाग ने अपनी आर्थिक रिपोर्ट जारी कर कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था इस साल 7.5 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ेगी। पुराने अनुमान के मुताबिक 0.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। भारत इस समय कोरोना की दूसरी लहर से बुरी तरह प्रभावित है जिसके कारण भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई और महाराष्ट्र सहित अनेक राज्यों में लॉक डाउन लगा है और आर्थिक गतिविधियां ठप पड़ी हुई है। संयुक्त राष्ट्रसंघ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था 10.1 प्रतिशत की तेजी के साथ आगे बढ़ेगी क्योंकि भारत इस समय दूसरी लहर से प्रभावित है और वैक्सीनेशन के विस्तार में भिड़ा हुआ है याने भारत का पूरा ध्यान अभी महामारी से निपटने, टीकाकरण और मेडिकल संसाधन जुटाने में लगा है।...दूसरी ओर क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत की जीडीपी ग्रोथरेट अनुमान से भारी कटौती की है और अनुमान लगाया है कि सरकार पर कर्ज बढ़ सकता है और कोरोना की दूसरी लहर का असर आर्थिक मोर्चे पर महसूस किया जाने लगा है। मूडीज ने पहले 13.7 प्रतिशत की वृद्धि दर का अनुमान लगाया था मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने अपने आउटलुक में देश की आर्थिक वृद्धि दर अप्रैल 2021 से मार्च 2022 में 13.7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था लेकिन अब कोरोना के चलते इसे 9.3 प्रतिशत कर दिया है। यानी फरवरी 2021 में 13.7 प्रतिशत बताया था। अब 4.4 प्रतिशत कम बता रहा है। लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई है इसी के चलते ग्रोथ रेट कम किया है। हालांकि मूडीज ने 2022- 2023 में अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत दिए हैं।....वही बात अगर हम क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की करें तो उसने अनुमान जताया है कि यदि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर जून अंत तक के बाद कम हो जाए तो वर्ष 2021- 2022 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत रह सकती है। जब के पहले 11 प्रतिशत वृद्धि दर का अनुमान लगाया था। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती कोरोना संक्रमण के प्रसार को बंद करना और टीकाकरण में तेजी लाना है। इसमें अब देश को रणनीतिक रोडमैप बनाकर लड़ना है। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का विश्लेषण करें तो हम देखेंगे कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने भारत की आर्थिक स्थिति को जीडीपी में थोड़ी बढ़ोतरी की गई है। जबकि बाकी दो क्रेडिट रेटिंग एजेंसीयों ने पुराने पूर्वानुमान में जीडीपी को घटाकर दर्शाया है। परंतु हमें पूरी उम्मीद है कि कोरोना महामारी से हम महायुद्ध जरूर जीतेंगे और हमारी अर्थव्यवस्था बहुत सुदृढ और मजबूत होगी और जीडीपी उम्मीद से अधिक होगी और विश्व देखता रह जाएगा।
मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास
हम होंगे कामयाब, हम होंगे कामयाब
-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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