नया सबेरा नेटवर्क
नागरिकों से जुड़ी एक वैचारिक समस्या जो भयावह रूप लेती जा रही है, वह यह है कि बहुत से लोग राजनीतिक दलों की विचारधारा और पार्टी लाइन से ऊपर उठकर स्वस्थ चिंतन और स्वस्थ दृष्टिकोण नहीं बना पा रहे हैं। उसी का परिणाम है कि सरकारें चाहे जिस पार्टी की हों, उनका ध्यान जनसमस्याओं से हटकर विकास विरोधी मुद्दों पर फोकस होता है और राजनीतिक पार्टियां जनता को मुद्दे से भटकाकर आपस में ही कुतर्कों की जाल में फंसा देती हैं। युवा अपनी बेरोजगारी, पढ़ाई-लिखाई, अपनी मूलभूत सुविधाओं- स्वास्थ्य, शिक्षा, भयमुक्त व भ्रष्टाचार मुक्त शासन-प्रशासन आदि के बारे में कम सोचता है और राजनीतिक पार्टियों के विकास विरोधी एजेंडे के बारे में अधिक चिंतित है। विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के आईटी सेल के तर्कों और कुतर्कों से निरपेक्ष रहकर चिन्तन करना और विभिन्न क्षेत्रों के पूर्वाग्रहों से निरपेक्ष बने रहना नागरिक सशक्तिकरण के लिए आवश्यक है। वर्तमान सोशल मीडिया और इलेक्ट्रानिक मीडिया के दौर में स्वस्थ एवं व्यापक दृष्टिकोण नागरिकों के लिए चुनौती है। यह विषय बहुत ही गंभीर है। सकारात्मक विचारों के साथ मानवीय दृष्टिकोण एवं वैज्ञानिक सोच से युक्त चिंतन करना हम भारत के लोगों का संवैधानिक मूल कर्तव्य भी है। भारत में सर्वोच्च शक्ति जनता में निहित है अर्थात जनता संप्रभु है। हम भारत के लोग अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से अपने ऊपर शासन करते हैं, यह बात जनमानस में हमेशा रहनी चाहिए कि हमारे प्रतिनिधि हमारे शासक नहीं होते। किसी का भी प्रतिनिधि उससे अधिक अधिकार संपन्न नहीं हो सकता। जनसमस्याओं से हटकर राजनीति करना हमारे प्रतिनिधियों का मुख्य कार्य नहीं है। सरकारों को जनकल्याणकारी कार्यों की तरफ उन्मुख करने के लिए जनजागरूकता और नागरिक सशक्तिकरण ही जनता को सर्वोच्चता का एहसास करा सकता है।
डा. कर्मचन्द यादव
असिस्टेंट प्रोफेसर राजनीति विज्ञान
सल्तनत बहादुर महाविद्यालय बदलापुर, जौनपुर।
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