नया सबेरा नेटवर्क
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बेटियाँ होती हैं गेह की लक्ष्मी
इनसे रहता है घर में उजाला सदा
बेटियाँ सेवा की होती प्रतिमूर्ति है
माँ बहन बेटी है रूप इनका सदा।
जन्म से ही उपेक्षित ए रहती है क्यों
मौन रहकर सभी बात सुनती है क्यों
चोट दिल पर सदा अपने सहती है क्यों
सहती सब कुछ हैं पर शान्त रहती है क्यों।
धर्म पालन सतत करती हैं बेटियाँ
मार देते उन्हें मानों हैं चीटियां
जन्म से पूर्व भी जन्म के बाद भी
रहती इतनी सशंकित हैं क्यों बेटियाँ।
मायका और ससुराल के बीच में
रहके दो कुल में जीवन बिता देती हैं
लाज का गहना धारण किए रहती हैं
धर्म सेवा में खुद को मिटा देती है।
मरना हीं है नियति इनकी संसार में
हत्या इनकी कभी कोई मत कीजिए
लक्ष्मी के रूप में पूज्य होती सदा
गर्भ से बेटी को मत बिदा कीजिए।
दान के रूप में मिलती हैं बेटियाँ
याचना दान यौतुक की मत कीजिए
बहू को बेटी के रूप में मानकर
धन ए अनमोल है सबसे कह दीजिए।
दो पिता माता संग दोनो परिवार की
चिंता करती हैं निश्छल सदा बेटियाँ
सेवा सम्मान आदर हैं देती सदा
कर्म से करती पावन दो कुल बेटियां।
मारने गर जलाने की हो लालसा
क्रोध, मद, लोभ को बस जला दीजिए
भेद होगा नहीं गर बहू बेटी में
घर में सुख शांति होगी ए सुन लीजिए।।
डा. प्रदीप दुबे शिक्षाविद्
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