नया सबेरा नेटवर्क
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ना सितारों की बात करो!
ना चांद की,
बात करो!तो आज के हालात की।
जिधर भी! देखो! तड़प है
सीने में धधकती आग
जल रहें हैं शमशान में
ना बादलों की बात करो!
ना बरखा की,
बात करो! तो आज की स्थिति की।
जिधर भी! सुनो! रो रहे हैं
कहे भी तो किससे?
दिलों में दर्द है सभी के
ना बात करो! फूलों
ना बात करो! भौरों की,
बात करो! तो आज की तिथि की।
(मौलिक रचना)
चेतना चितेरी, प्रयागराज
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