नया सबेरा नेटवर्क
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अब डोमराज के मायने और काम बदल गए।
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जौनपुर। एक तरफ जहां केंद्र और राज्य सरकार कोरोना महामारी के गुरिल्ला वॉर (छद्म रूप) के बदलते और रहस्यमयी हमले से आम जनमानस को बचाने में लगी हैं वहीं उसके तंत्र कुछ निजी चिकित्सकों से मिलकर लम्बा खेल करने से बाज़ नहीं आ रहे। खुद को धरती का भगवान मानने वाले ये लोग इंसानियत का भी कत्ल करने से गुरेज नहीं कर रहे हैं। यह खेल समूचे देश प्रदेश में चल रहा है। विपक्ष ऐसी ही खामियों को लेकर सरकार का इस आपदा में साथ देने की बजाय विरोध कर रहा है। किसी सन्त ने कहा है जैसा खाओ अन्न वैसा होए मन। कफ़न खसोट करने वालों ने तो आपदा में अवसर तलाशकर बम्पर ऑफ़र भी देना शुरू कर दिया है। इस तरह इन्होंने श्मशान घाट के डोमराज के मायने बदलकर खुद यमराज बन बैठे हैं। वैसे ये स्थिति उत्तर प्रदेश में बहुतायत है। इनकी बानगी जौनपुर और बनारस की देखिए।
जनपद के जिला प्रशासन ने 12 निजी अस्पतालों को अधिग्रहीत कर भर्ती से लेकर दवाओं के लिए तीन रेट 4800, 7800 और बेहद सीरियस के लिए 9000 निर्धारित करके मॉनिटरिंग के लिए एक- अफ़सर भी तैनात कर दिया। हर दिन इन्हें डिस्प्ले यानी बेड से लेकर मरीजों, दवाओं, ऑक्सीजन तक की जानकारी दो दो घण्टे में देनी थी लेकिन किसी ने ऐसा नहीं किया। सीएमओ कहते हैं कि शिकायत मिली तो जांचकर कार्रवाई होगी। मार्च से चल रही इस आपदा में कितनों के तन से कफ़न तक नोच लिए गए, बहुतों को लकड़ी और आग भी नसीब नहीं हुई।
बनारस के एक ऐसे ही स्लाटर हाउस रूपी निजी अस्पताल में मरीज की मौत के बाद पौने तीन लाख का बिल थमाया। उसके एक तीमारदार ने रास्ता जामकर कहा केवल दवा का पैसा देंगे। अधिकारी आए कुल 22 हजार लेकर बाकी रकम लौटानी पड़ी। वहीं के एक अस्पताल जिसके दलाल पूर्वांचल के हर जिले में हैं,उसके यहां एक व्यक्ति सबक सिखाने की गरज से मृत परिजन को भर्ती कराया एक दिन बाद उसने भी मृत घोषित करके लाखों का बिल थमाया तब भर्ती कराने वाले ने मीडिया, पुलिस के सामने बीएचयू की डेथ रिपोर्ट दिखाई। अस्पताल सीज हुआ, थू थू हुई अलग से। लाखों भुगतान भी करने पड़े। उसी अस्पताल में एक हफ्ते पूर्व बरसठी के रविन्द्र पटेल की मौत हो गई। उनके परिजनों से पांच लाख से अधिक लेकर डेड बॉडी सौंपी गई।
अब आइए जौनपुर। यहां 12 अस्पतालों को लिया गया कोरोना के नाम पर। इनमें से एक ने कोरोना समेत कोई मरीज़ नहीं लिए। डर के मारे खुद भूमिगत हो गया। जब आईएमए के अध्यक्ष ने लोगों से सहयोग की अपील की तो यह भी बिल से बाहर आया और कालाबाज़ारी पर लम्बा भाषण दिया। कोरोना को स्थिर होते देख मॉल शॉप की तरह गिफ्ट हैम्पर निकाला। जो मरीज आएगा उसे मुफ्त में भाप लेने वाली 100-50 की मशीन जो एमआर मुहैया कराते हैं के अलावा मुफ्त ऑक्सीजन भी मिलेगा। दरअसल हुआ ये की औरों के यहां धन वर्षा देख इसके पेट मे तेज़ दर्द उठा। बता दें इसके समेत दो पर डेढ़ लाख का जुर्माना भी हुआ है। ऐसे लोग पत्रकारों को डॉगी मानकर चलते और प्रचारित करते हैं।
यहीं का एक दूसरा जगलर तो ज़मीदारी खत्म होने के बाद भी लगान वसूलता है। यह लगान दवा की दुकानों के लाइसेंस का होता है कुल का 25 पर्सेंट। आपदा में इसके लिए स्वास्थ्य प्रशासन काम कर रहा है। जो लोग दवा बांटकर पुण्य कमाना चाहें उन्हें दवा किट इसी की दुकान से खरीदने को कहा जाता है। इसी ने सिने जगत के बेहतरीन फ़नकार स्व. राजेश विवेक (उपाध्याय) का शहर के जहांगीराबाद में पैतृक मकान भी कब्जा कर लिया है।
पिछले साल कोरोना मरीजों जो बाहर से आए उन्हें होटलों में क्वारन्टीन की अनुमति दी गई तो चमड़े के व्यापार में लगे इन होटलों की पौ बारह हो गई। एक तो इतना कमाया कि शहर के मध्य से गुजरी गोमती नदी में पांच सितारा होटल बनाने में लग गया है। इसका लेखाजोखा। झील के 14 वें एपिशोड में मिलेगा, कोरोना की वजह से इसे रोके रखा है।
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