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ना ऐसे इतराओ
थपथपाया पीठ अगर।
ना ऐसे इतराओ।।
कर समूल नाश फिर।
आकर खिलखिलाओ।।
दूसरी लहर ये।
खाए आप चक्कर।।
हो जाएं संजीदा।
ठीक नहीं है टक्कर।।
पानी में थे कितने।
जान गया जनमानस।।
त्याग दें रूखाई।
ले आएं रस।।
मिलती अगर सराहना।
रखें मन को शांत।।
अभिवादन को लेकर।
है होना एकांत।।
कृष्णेन्द्र राय
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