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कोविड-19 मरीजों के इलाज, मृत्यु पर अनुग्रह राशि पर आयकर छूट सराहनीय - मध्यमवर्गीय परिवारों को टैक्स राहत की चाहत अधूरी - एड किशन भावनानी
गोंदिया - भारत में कोविड-19 ने पिछले वर्ष से लेकर वर्तमान समय तक हर व्यक्ति की आर्थिक कमर तोड़ कर रख दी है। सबसे अधिक विपरीत प्रभाव लॉकडाउन के कारण आर्थिक स्थिति पर पड़ा है। जिससे बेरोजगारी बढ़ी, प्रति व्यक्ति आय घटी, लोगों की जमा पूंजी समाप्त हुई, प्रोविडेंट फंड अकाउंट से पैसे निकले, अनेक फिक्स डिपाजिट टूटी, इत्यादि अनेक आर्थिक तंगीयां लोग अभी भी महसूस कर रहे हैं। हालांकि सरकारें भी मजबूर हैं, क्योंकि पेट्रोल डीजल और शराब से टैक्स कलेक्शनके अलावा अन्य साधनों से आय अपेक्षाकृत कम हो रही है। जबकि स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य विकास कार्यों पर खर्च बढ़ा हुआ है। सरकारें भी मजबूर है।फिर भी जनता को कठिनाइयों में राहत पहुंचाना, सरकार का ही कर्तव्य व दायित्व है।...बात अगर हम शुक्रवार दिनांक 25 जून 2021 शाम की करें तो वित्त मंत्रालय द्वारा कोविड-19 के प्रभाव को देखते हुए कुछ राहतों की घोषणा की गई, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण कोविड-19 के इलाज पर और इसमें मृत्यु पर मिलने वाले मुआवजे पर,दस लाख रुपए तक की राशि पर टैक्स मुक्तकिया गया है और अनेक मामलों में टैक्स पेड करने की अंतिम डेट लाइन तारीखों को भी आगे बढ़ा दिया गया है। जिसमें करदाताओं ने राहत महसूस की हैं। परंतु लॉकडाउन की मार झेल रहे मध्यमवर्गीय परिवारों को की हालत खस्ता हो गई है, उन्हें राहत की चाहत थी। परंतु उनके मंसूबों को पूरा नहीं किया जा सका। सिर्फ डेड लाइन बढ़ाने तक ही सीमित रहा।...बात अगर हम कोविड-19 पीड़ितों को राहत की करें तो, कोरोना महामारी के बीच सरकार ने आम आदमी को टैक्स में बड़ी राहत देने का ऐलान किया है। वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि कोरोना वायरस के इलाज के लिए कंपनी या किसी दूसरे व्यक्ति से ली गई 10 लाख तक की रकम पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। यह छूट वित्त वर्ष 2019 -20 और उसके आगे के वित्त वर्ष के लिए है। वहीं, मौत के बाद मिले मुआवजे पर भी कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा। वित्त विभाग के अनुसार, दुर्भाग्य से, कुछ करदाताओं को कोविड -19 के कारण अपनी जान गंवानी पड़ी है। ऐसे करदाताओं के नियोक्ताओं और शुभचिंतकों ने उनके परिवार के सदस्यों को वित्तीय सहायता प्रदान की थी, ताकि वे अपने परिवार के कमाऊ सदस्य के अचानक चले जाने से उत्पन्न कठिनाइयों का सामना कर सकें। ऐसे करदाता के परिवार के सदस्यों को राहत प्रदान करने के लिए, नियोक्ता से या अन्य व्यक्ति से कर्मचारी की मृत्युके बाद प्राप्त अनुग्रह राशि पर आयकर छूट प्रदान करने का निर्णय लिया गया है। बयान के अनुसार यह छूट वित्त वर्ष 2019-20 और उसके बाद के वर्षों के लिये भी उपलब्ध होगी। इसके तहत नियोक्ता से प्राप्त बिना लिमिट की राशि जबकि किसी अन्य व्यक्ति से प्राप्त 10 लाख रुपये तक की राशि पर कर छूट होगी। इन घोषणाओं को लागू करने के लिए आवश्यक विधायी संशोधन उपयुक्त समय में प्रस्तावित किए जाएंगे।...बात अगर हम अंतिम तारीखों की डेडलाइन बढ़ाने की करें तो वित्त मंत्रालय द्वारा दिनांक 25 जून 2021 शाम को जारी अधिसूचना क्रमांक 74, 75/ 2021 सर्कुलर क्रमांक 12/ 2021 और तीन पृष्ठों के प्रेस रिलीज में अट्ठारह पॉइंट के अनुसार, इन डेडलाइन्स को बढ़ाया गया हैं। आगे पैन और आधार को अब 30 जून के बजाय 30 सितंबर 2021 तक लिंक किया जा सकेगा।वित्त वर्ष 2020-21 की आखिरी तिमाही के लिए टीडीएस स्टेटमेंट अब 30 जून के बजाय 15 जुलाई तक फाइल किया जा सकेगा। फॉर्म 16 में टैक्स डिडक्शन सर्टिफिकेट अब 15 जुलाई के बजाय 31 जुलाई तक जारी किया जा सकेगा। फॉरेन एविडेंस स्टेटमेंट को अब 15 जुलाई के बजाय 31 जुलाई तक फाइल किया जा सकेगा। नॉन टीडीएस स्टेटमेंट जैसे फॉर्म 15जी/15एच की अपलोडिंग 15 जुलाई के बजाय 31 अगस्त 2021तक हो सकेगी। सेक्शन 144सी के तहत डिस्प्यूट रिजॉल्यूशन पैनल और असेसिंग अधिकारी को आपत्ति अब 31 अगस्त 2021 तक सबमिट की जा सकेगी। इनकम टैक्स सेटलमेंट कमीशन से पेंडिंग केस विदड्रॉ करने की आखिरी तारीख अब 27 जून के बजाय 31 जुलाई 2021 होगी। टैक्स डिडक्शन के लिए आवासीय घर में निवेश के समय को 3 माह से ज्यादा का एक्सटेंशन दिया गया है। निवेश 1 अप्रैल को या उसके बाद से लेकर अब 30 सितंबर तक किया जा सकता है। विवाद से विश्वास स्कीम के तहत बिना ब्याज अतिरिक्त अमाउंट के पेमेंट करने की आखिरी तारीख को 30 जून से खिसकाकर 31 अगस्त 2021 किया गया है। ब्याज के साथ पेमेंट करने के लिए आखिरी तारीख 31 अक्टूबर 2021 की गई है। आदेश पास करने,असेसमेंट करने और पेनल्टी आदेश पास करने के लिए आखिरी तारीख अब 30 जून के बजाय 30 सितंबर 2021 होगी। इन्वेस्टमेंट फंड द्वारा अपने यूनिट होल्डर को फॉर्म नंबर 64डी में 2020-21 के लिए पेड इनकम या क्रिएटेड इनकम का स्टेटमेंट अब 30 जून के बजाय 15जुलाई 2021 तक प्रस्तुत किया जा सकेगा। इन्वेस्टमेंट फंड द्वाराअपने यूनिट होल्डरको फॉर्म नंबर 64 सी में 2020-21 के लिए पेड इनकम या क्रिएटेड इनकम का स्टेटमेंट अब 15 जुलाई के बजाय 31 जुलाई 2021 तक प्रस्तुत किया जा सकेगा। ट्रस्ट इंस्टीट्यूशंस/रिसर्च एसोसिएशंस आदि के रजिस्ट्रेशन/प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन/इंटीमेशन/अप्रूवल प्रोविजनल अप्रूवल के लिए फॉर्म नंबर 10ए/फॉर्म नंबर 10एबी में सेक्शन 10(23C),12AB, 35(1)(ii)/(iia)/(iii) और 80G के तहत एप्लीकेशन डालने की आखिरी तारीख अब 30 जून के बजाय 31 अगस्त 2021 होगी। अधिकृत डीलर की ओर से 30 जून को समाप्त तिमाही के लिए किए गए रेमिटेंस के मामले में फॉर्म नंबर 15सीसी में तिमाही स्टेटमेंट को अ 15 जुलाई के बजाया 31 जुलाई 2021 तक प्रस्तुत किया जा सकेगा। वित्त वर्ष 2020-21 के लिए फॉर्म नंबर 1 में इक्विलाइजेशन लेवी स्टेटमेंट को अब 30 जून के बजाय 31 जुलाई 2021 तक फाइलकिया जा सकेगा।वित्त वर्ष 2020-21 के लिए फॉर्म नंबर 3CEK में पात्र इन्वेस्टमेंट फंड द्वारा सेक्शन 9ए के सब सेक्शन (5) के तहत सालाना स्टेटमेंट अब 29 जून के बजाय 31 जुलाई 2021तक फाइल किया जा सकेगा इक्विलाइजेशन लेवी रिटर्न्स की प्रॉसेसिंग के लिए अब 30 जून के बजाय 30 सितंबर 2021 तक का वक्त रहेगा। अतः उपरोक्त पूरे विवरण का अगर हम अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो वित्त मंत्रालय द्वारा करदाताओं को राहत जो दी गई है सराहनीय है कोर्ट ने इलाज मृत्यु पर मुआवजे में दस लाख रुपए तक टैक्स में छूट तथा अंतिम तारीखों के लिए डेडलाइन बढ़ाई गई है जो सराहनीय है परंतु मध्यम वर्गीय परिवार परिवारों को टैक्स में राहत की चाहत अधूरी रही।
-संकलनकर्ता-कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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