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#JaunpurLive : डेल्टा वेरिएंट: स्पूतनिक वी का दावा- हमारा टीका ज्यादा असरदार

#JaunpurLive : डेल्टा वेरिएंट:  स्पूतनिक वी का दावा- हमारा टीका ज्यादा असरदार


कोरोना वायरस से सुरक्षा दिलाने के लिए कई कंपनियां प्रभावी वैक्सीन निर्माण की दिशा में काम कर रही हैं। कोरोना के सामने आ रहे तमाम वेरिएंट्स पर यह वैक्सीन कितनी प्रभावी हैं, इस बारे में लगातार शोध जारी है। इस बीच एक अध्ययन के दौरान वैज्ञानिकों ने फाइजर और एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को कोरोना वायरस के डेल्टा स्वरूप के खिलाफ प्रभावी होने का दावा किया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक सबसे पहले ब्रिटेन में सामने आए अल्फा स्वरूप की तुलना में वायरस के डेल्टा स्वरूप के कारण गंभीर संक्रमण का खतरा अधिक है, हालांकि जिन लोगों ने फाइजर और एस्ट्राजेनेका के टीके लिए हैं उन्हें इससे काफी हद तक सुरक्षित माना जा सकता है। गौरतलब है कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के टीके का भारत में कोविशील्ड नाम से उत्पादन हो रहा है।
पब्लिक हेल्थ स्कॉटलैंड और ब्रिटेन के एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने कोरोना के डेल्टा वेरिएंट्स के खिलाफ फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन को ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन से ज्यादा असरदार पाया है। इस अध्ययन को द लैंसेट जर्नल में प्रकाशित किया गया है। इसी साल एक अप्रैल से छह जून तक के आंकड़ों के अध्ययन के आधार पर वैज्ञानिकों ने इसकी पुष्टि की है। अध्ययन के दौरान कोरोना से संक्रमित 19,543 लोगों को शामिल किया गया, इनमें से 377 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। अध्ययन में शामिल प्रतिभागियों में से 7,723 में कम्यूनिटी केस जबकि अस्पताल में भर्ती 134 लोगों में कोरोना वायरस के डेल्टा स्वरूप का पता चला।
अध्ययन के दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि दोनों डोज के बाद फाइजर वैक्सीन कोरोना के अल्फा वेरिएंट्स के खिलाफ 92 प्रतिशत और डेल्टा वेरिएंट्स के खिलाफ 79 प्रतिशत तक सुरक्षा प्रदान कर सकती है। वहीं एस्ट्राजेनेका के टीके डेल्टा वेरिएंट्स के खिलाफ 60 प्रतिशत और अल्फा वेरिएंट्स के खिलाफ 73 प्रतिशत तक सुरक्षा दे सकते हैं। इसके साथ वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि टीकों के एक डोज की तुलना में दोनों डोज डेल्टा वेरिएंट्स के खिलाफ बेहतर सुरक्षा प्रदान करती हैं।
अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बताया कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका और फाइजर-बायोएनटेक, कोविड के दोनों वैक्सीन संक्रमण से सुरक्षित रखने और अस्पताल में भर्ती होने के जोखिम को कम करने में प्रभावी पाए गए हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें को दूसरी लहर के दौरान भारत में दिखी अफरा-तफरी के पीछे कोरोना के डेल्टा वेरिएंट को प्रमुख कारण माना जा सकता है। इतना ही नहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इस वेरिएंट को चिंता कारक भी घोषित किया है।
गमलेया सेंटर द्वारा एक अंतरराष्ट्रीय पीयर-रिव्यू जर्नल में प्रकाशन के लिए प्रस्तुत एक अध्ययन के अनुसार, अब तक दुनियाभर में मौजूद कोरोना के विभिन्न वैक्सीनों की तुलना में गमालेया की स्पुतनिक वी वैक्सीन कोरोना वायरस के डेल्टा वायरस स्ट्रेन के खिलाफ अधिक प्रभावी है। इस वैक्सीन का निर्माण भारत में डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरी द्वारा किया जा रहा है। 18 मई से यह भारत में भी उपलब्ध कर दी गई है। भारत में निर्मित कोविशील्ड और कोवैक्सीन के बाद स्पुतनिक वी प्रयोग में लाई जा रही तीसरी और पहली विदेशी वैक्सीन है।
इससे पहले सोमवार (14 जून) को ट्वीट के माध्यम से नोवावैक्स ने बताया कि फेज-3 के ट्रायल में उसके वैक्सीन की प्रभाविकता 90 फीसदी के करीब पाई गई है। इतनी ही नहीं कोरोना के मध्यम और गंभीर बीमारी के खिलाफ यह 100 तक सुरक्षा भी प्रदान कर सकती है। तीसरे चरण के परीक्षण विवरण को जारी करते हुए कंपनी ने कहा कि कोरोना से सुरक्षा के मामले में यह वैक्सीन बेहद कारगर साबित हो सकती है। इस वैक्सीन के भी डेल्टा वेरिएंट्स पर काफी प्रभावी होने का दावा किया जा रहा है।
अस्वीकरण नोट: यह लेख लैंसेट जर्नल में प्रकाशित पब्लिक हेल्थ स्कॉटलैंड और ब्रिटेन के एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन के आधार पर तैयार किया गया है। लेख में शामिल सूचना व तथ्य आपकी जागरूकता और जानकारी बढ़ाने के लिए साझा किए गए हैं। वैक्सीनों की प्रभाविकता को लेकर अमर उजाला किसी तरह का दावा नहीं करता है।

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