नया सबेरा नेटवर्क
शाहगंज,जौनपुर। कोरोना महामारी में सरकारी आंकड़ों के अनुसार मौतों की संख्या और वास्तविकता में काफी अंतर देखने को मिल रहा है। परिवार के मुखिया की मौत पर जहां पूरा भविष्य अंधकार में पहुंच गया। वहीं सरकारी गिनती में नाम नहीं दर्ज होने पर परिवार की सरकारी मदद की आस भी टूट रही है। पुराना चौक मोहल्ला निवासी सन्तोष कुमार गुप्ता (35) पुत्र शिव प्रसाद गल्ला मंडी में छोटी सी दुकान चलाकर परिवार के चार सदस्यों का पालन पोषण करते थे। पखवारे भर पूर्व सन्तोष सर्दी, खांसी और बुखार की चपेट में आ गए। पड़ोस में डाक्टर से दवा ली। लेकिन आराम नहीं मिला। 25 मई की रात अचानक हालत बिगड़ गई। साँस लेने में तकलीफ होने पर स्थानीय चिकित्सकों ने कोरोना की पुष्टि करते हुए जिले में बड़े डाक्टर को दिखाने की सलाह दी। बेबस पत्नी किसी तरह से लेकर जिला चिकित्सालय पहुंची। लेकिन पति की जि़ंदगी बचाने मे नाकाम साबित हुई। संतोष की साँस टूटते ही पूरा परिवार उजड़ गया। बेटा कृष्णा (10) व बेटी परी (8) अनाथ हो गए। घर के मुखिया की मौत से जहां परिवार पर दु:खों का पहाड़ गिर गया वहीं पत्नी पूनम को पहाड़ सी जिंदगी और बच्चों के भविष्य की चिंता सता रही है। महामारी से हुई मौत पर सरकारी रिकार्ड में संतोष का नाम दर्ज न होने से सरकारी मदद का आसरा भी बेमानी साबित हुआ है। फि़लहाल पूनम और उसके दो मासूम बच्चों को समाज से मदद की दरकार है।
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