नया सबेरा नेटवर्क
जौनपुर: महमदपुर गुलरा गांव मे आयोजित साप्ताहिक श्रीमद् भागवत कथा में शुक्रवार को प्रयागराज से पधारे डाक्टर नरेंद्र त्रिपाठी जी महाराज ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि इस तन की मुक्ति के लिए ईश्वर से धन, वैभव और सुख की कामना न करके उनसे दुख और बिपत्ति मांगकर देखो। इससे आपका जहाँ आत्म विश्वास मजबूत होगा। वहीं उस दुख के निवारण के निमित्त स्वयं हरि विवश होकर आयेंगे और आपको दर्शन भी दे जायेंगे। मानव के जीवन काल में दुख, आफत, बिपत, रोग, गरीबी, दरिद्र, असहाय और मौत जैसे संकटआते है तो उससे कभी घबराना नहीं चाहिए। मन में यह विश्वास जमा कर लेना चाहिए कि यह बिपत्ति प्रभु की कृपा होने का पूर्व संदेश है।उन्होंने कहा कि प्रभु तो भाव के भूखे है। वे भक्त के वश में है। वह जब भी श्रद्धा भाव से याद करेगा भगवान भागते हुए चले आयेंगे। आठो सिद्धियां और नवों निधियो का सुख छोड़ भगवान भिलनी के जूठे बेर और बिदुर के घर साग खाने पहुंच गये। सच्चा भक्त प्रकृति के हर स्वरूप में ईश्वर का अंश निहारता है। उन्हें ही संसार का सबसे कीमती हीरा मानता है। इसलिये ईश्वर को सहजता से पाना है तो धन वैभव नहीं बिपत्ति की कामना करो। जिसका निवारण स्वयं प्रभु ही करेंगे। इसी बहाने उनका दर्शन पाकर तुम धन्य हो जाओगे। श्री महराज ने महाभारत काल में कुन्ती के चरित्र का उदाहरण देते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने उनसे कहा कि बूआ आपको जो कुछ भी चाहिए मांग लीजिए। मै हर इच्छित बस्तु आपको देने को तैयार हूँ। कुन्ती ने कहा कि आप दुनिया की सारी बिपत्ति और दुख मुझे दे दो। श्रीकृष्ण ने कहा कि आप धन, वैभव और सुख क्यों नहीं मांगी। तो कुंती ने मुस्कराते हुए कहा कि कृष्ण, मेरे ऊपर जब जब बिपत्ति पड़ी आप मेरे साथ खड़े रहे है। मुझे पता है मेरा ज्यो सुख का दिन शुरू होगा। आप हमसे दूर होने लगोगे। इस लिए हमने आपसे दुख मांगा है। पंडित परमानन्द तिवारी ने कहा कि यह संसार ही क्षणिक सुखो वाला है। इसकी चमक दमक में पड़कर जीवन को निर्थक मत जाने दो। गृहस्थ आश्रम की जिम्मेदारियां निभाते हुए कुछ समय श्रद्धा भाव से भगवान का स्मरण करो। झूठ, फरेब और बेईमानी त्यागो। इमानदारी के पथ पर आगे बढ़ते रहना भी किसी तपस्या से कम नहीं है। मात्र इसे ही अपने आचरण मे आत्मसात कर लो। फिर देखो मेरा- तेरा, अपना-पराया सभी भेद मिटने लगेगा। आप सबके और संसार आपका लगने लगेगा। यह भाव जागृत होते ही समझो इहलोक से मुक्ति का मार्ग खुल गया। इस मौके पर श्रीपाल पाण्डेय, संजय पांडेय, धनंजय, शिवपूजन पाण्डेय, राम अनंद पाण्डेय, अमरनाथ तिवारी,सुबाष पाण्डेय, खरपत्तू नाविक, रमेश तिवारी, बिजयी यादव आदि मौजूद रहे। आयोजक प्रमोद पाण्डेय ने आगंतुको के प्रति आभार प्रकट किया।
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