नया सबेरा नेटवर्क
व्यक्ति मरता नहीं इस जहाँ में सुने,
व्यक्तित्व ही पहचान है उसका कहीं।
जिन्दा रहना भी मरने ही जैसा रहा,
जिसका कोई नाम लेने वाला नहीं।।
काया पर मरने वालों के लिए है बात,
उसके माया में पड़कर न छलें व जलें।
अंतर्मन की जो बात अंतर्मन से करें,
व्यक्तित्व को ही सींचे व फूले -फलें।।
जीवन दीपक में यदि आप चाहते लौ,
जो अनवरत चलें व दुःख को भी हरे।
व्यक्तित्व के पात्र में कुछ दृढ मन से
स्वाभिमान की कुछ बूँद उसमे भरें।।
देखें ,सोचें, समझें,मनन व चिन्तन करें,
स्वाभिमान तो जीवन का उत्तम रंग है।
यदि व्यक्तित्व में समाता अभिमान तो,
जीवन अपरदन करने वाला वो जंग है।।
शैलेन्द्र निषाद,जौनपुर, उ0 प्र0
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