नया सबेरा नेटवर्क
खुटहन, जौनपुर। सिर्फ शास्त्र से ही नही, कभी कभी धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र भी उठाना आवश्यक हो जाता है। सतयुग, द्वापर और त्रेता युग में विभिन्न स्वरूपो में पृथ्वी पर ईश्वर का अवतरण हुआ है। वे भले ही सिर्फ धर्म की राह पर चले हो, लेकिन धर्म के रक्षार्थ स्वयं भगवान भी शस्त्र के रूप में धनुष बाण, सुदर्शन चक्र, गदा आदि लिए रहे है। उक्त बातें गुलरा गांव में श्रीमदभागवत कथा में ब्यास पीठ से उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए धर्मराज तिवारी जी महराज ने कही।
उन्होंने कहा कि धर्म एक ऐसी अदृश्य शक्ति है। जो हमे आंखो से दिखाई नहीं देता। लेकिन जब भी हम किसी पापकर्म को आगे बढ़ते है, वह हमे पूरी शक्ति से रोकता है। मानव को सचेत कर उसे सही मार्ग पर चलने को प्रेरित करता है। इसके बाद भी जब हमारा मन नहीं मानता तो हम घोर अपराध कर गुजरते है। जिसका जीवन पर्यन्त प्रायश्चित करना पड़ता है। उन्होने कहा कि चौरासी लाख योनियो में करोड़ो वर्षो तक भटकने के बाद यह मानव शरीर मिला है। यह जीवन पा करके भी यदि मुक्ति नहीं प्राप्त कर पाये तो समझिए कि आपने अपने मूल को ही खो दिया।
श्री महराज ने कहा कि गृहस्थ आश्रम में रहकर परिवार की जिम्मेदारी निभाते हुए कुछ समय नियमित रूप से ईश्वर स्मरण में लगाए। हमेशा सत्य, अहिंसा के मार्ग पर चले। फिर देखिए यह पूरा संसार आपको अपना और आप संसार के लगने लगोगे। मेरा-तेरा, अपना-पराया सभी भेद मन से निकल जायेगा। ऐसी परिस्थिति तक पहुंच गये तो सर्वत्र ईश्वर का दर्शन मिलेगा। आप इहलोक से मुक्ति पा जाओगे। इस मौके पर पंडित रामप्यारे द्विवेदी जी महराज, काली प्रसाद पाण्डेय, कैलाश पांडेय, बिपिन, बिनय, तुफानी दूबे, मयाशंकर तिवारी, अजीत सिंह, नंदलाल नाविक आदि मौजूद रहे। आयोजक शिक्षक अनिल पांडेय ने आगंतुको के प्रति आभार प्रकट किया।
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