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भारत के नए आईटी नियम मुद्दे पर यूएन एक्सपर्ट के पत्र पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी - एड किशन भावनानी
गोंदिया - भारत में पिछले कई दिनों से इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के माध्यम से टूल बॉक्स मुद्दे के बारे में बहुत लंबे समय तक टीवी चैनल और अखबारों के माध्यम से सुन और देख रहे थे। बहुत कम लोगों को समझ में आया होगा कि यह टूलबॉक्स मैटर आखिर है क्या?? दरअसल टूल बॉक्स यह 72 वें गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय राजधानी में किसानों की ट्रैक्टर रैली के तथाकथित हिंसक होने, ट्विटर के माध्यम से कुछ अफवाहें फैलने की बात सामने आई थी और कई ट्विटर अकाउंट पर रोक लगी और फिर देर रात तक हटा दी गई और सरकार का कहना था कि कुछ ट्विटर हैश एम प्लानिंग कमेंट जिनोमाइंड लिखने वाले अकाउंट हटाने संबंधी उसका निर्देश माने या फिर कार्रवाई के लिए तैयार रहें।...बस यही से मामला शुरू हुआ और हम बहुत दिनों से देख रहे हैं कि ट्विटर और भारत सरकार में यह मामला चल रहा है और सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021 बनाया जो 26 मई 2021 से लागू हो चुका है इसके पूर्व सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी कानून (आईटी कानून), 2000 को इलेक्ट्रोनिक लेन-देन को प्रोत्साहित करने, ई-कॉमर्स और ई-ट्रांजेक्शन के लिये कानूनी मान्यता प्रदान करने, ई-शासन को बढ़ावा देने, कंप्यूटर आधारित अपराधों को रोकने तथा सुरक्षा संबंधी कार्य प्रणाली और प्रक्रियाएँ सुनिश्चित करने के लिये अमल में लाया गया था। यह कानून 17 अक्टूबर, 2000 को लागू किया गया। यह मसौदा सर्वोच्च न्यायालय के उस आदेश के बाद आया है जिसमें सरकार को गूगल, फेसबुक, यूट्यूब और व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया मंचोंके जरिये चाइल्ड पोर्नोग्राफी, बलात्कार,और सामूहिक बलात्कार जैसे यौन दुर्व्यवहार संबंधी ऑनलाइन सामग्री के प्रकाशन और इनके प्रसार से निपटने के लिये दिशा-निर्देश या मानक संचालन प्रक्रिया तैयार करने के लिये मंज़ूरी दी गई थी। इस आर्टिकल को बनाने में। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की सहायता ली गई है उसके अनुसार कुछ सोशल मीडिया कंपनियों ने अपने रोडमैप चेंज कर सकारात्मक रवैया अपनाया परंतु ट्विटर के साथ मामला बढ़ता ही गया, और भारत सरकार ने भी इधर सख्त कदम अपनाया हुआ है। नए आईटी रूल्स का पालन नहीं करना ट्विटर को भारी पड़ गया है। ट्विटर को भारत में मिलने वाला लीगल प्रोटेक्शन यानी कानून सुरक्षा खत्म हो गई है। ट्विटर को भारत में मिलने वाला विकल्प प्रोटेक्शन यानी कानूनी सुरक्षा समाप्त हो गई, अब जब तक ट्विटर नियम लागू नहीं करता उसे कानूनी सुरक्षा नहीं मिलेगी। उधर गाजियाबाद में पुलिस ने पहली एफआईआर दर्ज कर ली है।..यह मामला अब अब संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में पहुंच गया है।...संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूतों ने भारत सरकार को पत्र लिखकर सोशल मीडिया इंटरमीडियरियों, स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म और डिजिटल समाचार माध्यमों को विनियमित करने के लिए अधिसूचित नए आईटी नियमों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। 8 पृष्ठ का पत्र एक अधिकारी ने विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के प्रचार और संरक्षण और प्रसार की विशेष दूत, क्लेमेंट न्यालेतसोसी वौले, शांतिपूर्ण सभा और संघ की स्वतंत्रता के अधिकारों पर विशेष दूत, और जोसेफ कैनाटासी, निजता के अधिकार पर विशेष प्रतिवेदक ने लिखा है।विशेष दूतों ने लिखा, हम उपयोगकर्ता-जनित सामग्री की निगरानी और उन्हें तेजी से हटाने के लिए कंपनियों पर दायित्वों के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त करते हैं, जिससे हमें डर है कि अभिव्यक्ति कीस्वतंत्रता के अधिकार को कमजोर किया जा सकता है। पत्र में कहा गया है, हमें चिंता है कि इंटरमीडियरी अपने दायित्व को सीमित करने के लिए निष्कासन अनुरोधों का पालन करेंगे, या सामग्री को प्रतिबंधित करनेके लिए डिजिटल रिकग्निशन बेस्ड कंटेट रिमूवल सिस्टम या स्वचालित उपकरण विकसित करेंगे। जैसा कि हमारे पूर्ववर्तियों द्वारा जोर दिया गया है, इन तकनीकोंमें सांस्कृतिक संदर्भों का सटीक मूल्यांकन करने और नाजायज सामग्री की पहचान करने की संभावना नहीं है। हम चिंतित हैं कि छोटी समय सीमा, उपरोक्त आपराधिक दंड के साथ, सेवा प्रदाताओं को प्रतिबंधों से बचने के लिए एहतियात के तौर पर वैध अभिव्यक्ति को हटाने के लिए प्रेरित कर सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि, भारत के नए आईटी कानून इंटरनेशनल कॉवनेंट ऑन सिविल एंड पॉलिटिकल राइट्स (ICCPR) का उल्लंघन कर रहे हैं, जो कि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संधि का आधार है। बता दें कि इंटरनेशनल कॉवनेंट ऑन सिविल एंड पॉलिटिकल राइट्स (ICCPR) एक बहुपक्षीय संधि है जो नागरिक और राजनीतिक अधिकारों के लिए कई तरह की सुरक्षा प्रदान करती है। इस संधि को 16 दिसंबर 1966 को यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली रेजॉलूशन में अपनाई गई थी। कॉवनेंट की आर्टिकल 49 के मुताबिक, ICCPR 23 मार्च 1976 को प्रभाव में आया। ब्रिटेन भी 1976 मेंICCPR को फॉलो करने के लिए राजी हुआ। दिसंबर 2018 तक, 172 देशों ने कॉवनेंट को अपनाया है।...भारत ने 6 पृष्ठो में इसके जवाब में भारत के संयुक्त राष्ट्र कार्यालय में भारत के स्थायी मिशन ने भारत के नए आईटी मानदंडों के संबंध मेंमानवाधिकार परिषद की विशेष प्रक्रिया शाखा द्वारा उठाई गई चिंताओं का जवाब दिया है। इसमें स्थायी मिशन ने जोर देकर कहा है कि भारत की लोकतांत्रिक साख अच्छी तरह से मान्यता प्राप्त है और विभिन्न हितधारकों के साथ उचित परामर्श के बाद नए मानदंडों को अंतिम रूप दिया गया है। भारत ने स्पष्ट किया है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के हो रहे गलत इस्तेमाल के चलते नए नियम को लागू करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के लिखे जवाब में कहा है कि नए मीडिया प्लेटफॉर्म (सोशल मीडिया) की मदद से आतंकियों की भर्ती, अश्लील सामग्री का बढ़ना, वित्तीय फ्रॉड, हिंसा को बढ़ावा मिलना जैसे मामले सामने आए थे। ऐसे में सरकार आईटी नियमों में बदलाव के लिए मजबूर हुई।भारतीय संविधान के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी है। भारत के स्थायी मिशन ने अपने पत्र में कहा, स्वतंत्र न्यायपालिका और एक मजबूत मीडिया भारत के लोकतांत्रिक ढांचे का हिस्सा हैं। इसमें कहा गया है, भारत का स्थायी मिशन अनुरोध करता है कि संलग्न जानकारी को संबंधित विशेष प्रतिवेदकों के ध्यान में लाया जाए। भारत सरकार और ट्विटर नए मानदंडों को लेकर एक तरह से संघर्ष की स्थिति में हैं, जिसमें केंद्र ने कहा है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म मानदंडों का पालन करने में विफल रहा है। हालांकि, कंपनी ने हाल ही में कहा कि उसने नए मध्यस्थ दिशानिदेशरें के तहत सुझाव के अनुसार एक अंतरिम मुख्य अनुपालन अधिकारी नियुक्त किया है। नए मध्यस्थ दिशानिर्देशों का पालन न करने के कारण ट्विटर ने भारत में मध्यस्थ मंच का अपना दर्जा भी खो दिया है। अतः उपरोक्त पूरे विवरण का अगर अध्यन कर उसका विश्लेषण करें तो नए आईटी नियम को लागू करने से सोशल मीडिया के प्रयोगताओं को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे और यूएन द्वारा लिखे गए पत्र की भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी हैं जो भारत के कानून व्यस्था को लागू करने की ओर सकारात्मक कदम हैं।
-संकलनकर्ता- कर विशेषज्ञ- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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