नया सबेरा नेटवर्क
बैंककर्मियों की कार्यशैली जिला प्रशासन के लिये खड़ी कर सकती है बड़ी चुनौती
जौनपुर। जिले के एसपी ने पहले ही दिन पत्रकार वार्ता में बैंकों के सीसीटीवी कैमरे सही और सटीक एंगल पर लगाने की हिदायत दी थी लेकिन बैंककर्मियों पर इसका कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा इसका जीता जागता उदाहरण नगर का बैंक आफ इंडिया है। जानकारी के अनुसार नगर स्थित बैंक आफ इंण्डिया के कैशियर सुनील द्वारा खाताधारक नीतू राय को 4 हजार रुपये कम दिये जाने के मामले में पुलिस की जांच में बैंककर्मी बैकफुट आते दिख रहे हैं। पीड़िता द्वारा जब सीसीटीवी दिखाने की बात की गयी जिससे साबित हो सके कि बैंक कैशियर द्वारा बगैर गिनती के रुपया दिया गया और हो सकता है कि उस गड्डी से पहले किसी खाताधारक को भुगतान किया गया हो तो पहले बैंक ने नियम का हवाला देते हुए कहा कि सीसीटीवी फुटेज खाताधारक को नहीं दिखाया जा सकता है। जब पुलिस प्रशासन मांग करेगा तो दिखायेंगे। पुलिस से शिकायत पर सीसीटीवी दिखाने पर बैंक मैनेजर द्वारा कहा गया कि हमारे कैमरे का डीवीआर खराब है 4 से 6 दिन में बन जाने पर दिखा देंगे लेकिन लगभग 15 दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस विभाग व खाताधारक को सीसीटीवी फुटेज न दिखा पाना और डीबीआर का न बनना और अब बैंक मैनेजर का यह कहना कि हमारा सिस्टम खराब हो गया है, डीबीआर सही नहीं हो पायेगा और हम सीसीटीवी फुटेज नहीं दिखा पायेंगे क्या खाताधारक से धोखा नहीं है? बैंक में खराब सीसीटीवी लगाकर क्या बैंककर्मी खाताधारकों के जानमाल के साथ धोखा नहीं कर रहे? बैंक जैसे संवेदनशील स्थान पर कोई अप्रिय घटना घटित होने पर सीसीटीवी के फुटेज से जहां पुलिस अपराधियों तक आसानी से पहुंचकर घटना का खुलासा करने में सफल होती है, वहीं चोर, उचक्कों व अपराधियों में भी डर का माहौल रहता है। सच तो यह है कि अपनी कमी पर पर्दा डालने व घपलेबाजी की काली करतूत को छिपाने के लिये इस तरह का कृत्य बैंक कर्मियों द्वारा किया जा रहा है, जो बेहद गैर जिम्मेदाराना और शर्मनाक है।
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