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पृथ्वी पर कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं जिसको समस्या ना हो - कोई समस्या ऐसी नहीं जिसका समाधान ना हो | #NayaSaberaNetwork

पृथ्वी पर कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं जिसको समस्या ना हो - कोई समस्या ऐसी नहीं जिसका समाधान ना हो | #NayaSaberaNetwork


नया सबेरा नेटवर्क
समस्या ही सफलता की जननी है - दुख रूपी चाबी से सुखों का द्वार खुलता है - एड किशन भावनानी
गोंदिया - किसी ने ठीक ही लिखा है कि, पृथ्वी पर कोई भी एसा व्यक्ति नहीं होगा, जिसको कोई भी समस्या नहीं हो और पृथ्वी पर कोई भी समस्या ऐसी नहीं होगी, जिसका समाधान ना हो। गुरुनानक देव जी ने भी अपनी वाणी में कहा है कि : नानक दुखिया सब संसार। याने, दुनिया में हर व्यक्ति को कोई ना कोई दुख या समस्या जरूर होगी। इस पृथ्वीलोक पर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ पद पर आसीन व्यक्ति से लेकर अंतिम श्रेणी के आखिरी व्यक्ति को भी कोई ना कोई समस्या या दुख जरूर होगा। चाहे वह कितना भी दावा करे कि वह सर्वसंपन्न भाग्यशाली व्यक्ति है, परंतु कहीं ना कहीं कोई ऐसी उसकी दुखती रग होगी जो उसकी समस्या या दुख का कारण होगा यह पक्की बात है। साथियों, इस समस्या या दुख को हम विस्तृत परिवेश में देखें तो यह किसी व्यक्ति, संस्था, दल, सरकार, परिवार द्वारा बनाया या उत्पन्न किया गया है, आवश्यक नहीं है। यह विधि का विधान है, सुख-दुख, समस्या और समाधान, यह एक ही चक्र के पार्ट हैं और यह चक्र समय के अनुसार घूमता रहता है। और पृथ्वी के हर मानव को अपने हर पार्ट के दर्शन जरूर कराता है। सुख, समाधान में हम गदगद हो जाते हैं परंतु दुख, समस्याओं से हम विचलित हो दिशा से भटक जाते हैं। साथियो, बात अगर हम इस परिपेक्ष में भारत की करें तो हम भारत में जन्म लेने वाले मानव प्रजाति अत्यंत ही भाग्यवान हैं। क्योंकि भारत की मिट्टी से ही हमें संस्कारों, संस्कृति, आध्यात्मिकता, सदभाव, कोमल हृदय और सहनशीलता रूपी अनमोल मानवीय गुण प्राप्त हुए हैं। साथियों, मेरा मानना है कि भारत में अधिकतम जन्मे मनुष्य में यह गुण कूट-कूट कर भरा है, इसलिए हम भारतीयों को इस भारत माता के सपूत कहते हैं। मेरे विचार में इसके विपरीत भाव रखने वालों की संख्या बहुत ही कम होगी। भारत में भी हर व्यक्ति का किसी न किसी रूप में समस्याओं व दुखों से सामना जरूर हुआ होगा या हो रहा है या आगे चलकर होगा कोई अछूता नहीं रहा होगा। साथियों, समस्या या दुख यह अपने आप में वह दो या सडे तीन अक्षरों का शब्द नहीं, यह अपने आप में संस्थागत परिपेक्ष है। इसके अनेक रूप हैं यह एक सिंगल व्यक्ति से लेकर संस्थागत ढांचे पर भी वार करता है। अर्थात एक सामान्य व्यक्ति से लेकर ऊंचे पदपर आसीन व्यक्ति,राजनीतिक दल, सरकार संस्था, नेता, पक्ष, प्रतिपक्ष, विपक्ष इत्यादि हर ढांचे के लिए समस्या या दुख उत्पन्न होता है। साथियों, बात अगर हम पृथ्वी पर ऐसी कोई समस्या नहीं जिसका कोई समाधान ना हो की बात करें तो बिल्कुल सच वचन है। हर समस्या का समाधान है। बस जरूरत है उसे खोज़ कर क्रियान्वयन करने की। साथियों, मेरे विचार विचार में समस्या या दुख के समाधान को खोजने और उसका क्रियान्वयन करने का विश्व में सर्वाधिक मानवीय गुण किसी मानव में अगर कूट कूट कर भरा है तो वह है भारत में जन्में भारत माता के सपूत के पास। हालांकि, विश्व में सभी के पास यह गुण हो सकता है, परंतु भारत में जन्मे व्यक्ति के पास अपेक्षाकृत यह गुण अधिक है, क्योंकि भारत माता की मिट्टी से हमें गॉड गिफ्ट में यह गुण मिला है। समस्याओं का समाधान करनेमें भारतीय को महारत हासिल है बस जरूरत है इसे क्रियान्वयन करने की। साथियों, समस्या समस्याओं दुखों से निपटने या उसका समाधान करने के लिए सबसे बड़ी जरूरत होती है हौसला और जज़्बा रूपी मंत्रों का उपयोग करने का, यह दोनों मंत्रों को हमने अपने आप में समाहित कर समस्या या दुखों से निपटने के लिए सबसे पहले एक रणनीतिक रोडमैप तैयारकर उसे क्रियान्वयन करना है। बस!! समस्याओं का समाधान होना निश्चित है। हालांकि समय का बंधन नहीं किया जा सकता, क्योंकि अपना पूरा कर्म करने के बाद कुछ ऊपर वाले पर भी भरोसा करना पड़ता है। समस्याओं दुखों से लड़ते हुए सहनशीलता का भाव भी रखना पड़ता है जो भारतीयों में कूट-कूट कर भरा है। ऊपर वाले पर भरोसा भी भारतीय मिट्टी ने गॉडगिफ्ट में भारत वासियों को दिया है, क्योंकि करीब-करीब हर भारतीय में हजारों वर्षों की कई पीढ़ियों से आध्यात्मिकता में विश्वास रखता आ रहा है। इसलिए साथियों, मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि वैश्विक स्तर पर भारतीय व्यक्तित्व समस्याओं के समाधान करने में अव्वल दर्जे पर योग्य साबित होगा। क्योंकि भारतीय व्यक्तित्व में यह मानवीय गुण गॉड गिफ्ट के रूप में समाहित है कि मुश्किलों से जंग कर फतह हासिल करना। अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो, जिस स्थिति या परिस्थिति को हमारा मन जटिल मानता है या यूं कहें जिसमें अनुकूलित नहीं हो पाता उसे समस्या माना जाता है। कहने का आशय यह है कि समस्या हमारी दृष्टि पर आधारित होती है। किसी ने ठीक ही कहा है कि हमारी दृष्टि ही सृष्टि की निर्मात्री, यह पूरी तरह से सत्य है कि पृथ्वी पर कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं जिसको कोई समस्या ना हो तथा कोई समस्या ऐसी भी नहीं जिसका कोई समाधान ना हो और समस्या ही सफलता की जननी है दुख रूपी चाबी से सुख रुपी स्वर्ग का द्वार खुलता है।

समस्याओं से जूझ कर ही।
 सफलताओं के द्वार खुलते हैं।।
 आग में तपकर ही। 
 सोने के गहने चमकते हैं।। 
 हौसला जज़्बा हो अगर मजबूत। 
 दुखों से सुखों के द्वार खुलते हैं।।
लेखक कर विशेषज्ञ- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

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