#JaunpurLive : बाढ़-बारिश!



बाढ़- बारिश,  तूफान में कितना उबाल है,
जो लोग फँसे उसमें उनका  खस्ताहाल है।
यूँ तो गुजर जायेंगे देखो उनके भी ये दिन,
बेहाल हैं भूख  से बच्चे, ये बड़ा  सवाल है।
दिन तो कट जाता है, मगर कटती नहीं रातें,
मौसम के फन्दे का, गले में पड़ा  जाल  है।
घुटनभरी  जिंदगी  काट  रहे  हैं  वो   लोग,
बढ़ती आबादी  पर उठता कुछ  सवाल है।
पहुँच चुकी दुनिया मंगल-चाँद के उस पार,
जमींनी हल निकलता नहीं, यही मलाल है।
एक तरफ कोरोना,दूसरी तरफ से ये आफत,
राम  जाने  आया  देखो, ये  कैसा  साल  है।
अंदर-अंदर खोखले हो गए हैं सारे किसान,
महंगाई के ग्राफ में,आया कितना उछाल है।
तेरा  दर्द   मैं   पहने   घूमता  हूँ  रातों -दिन,
निकलता नहीं कुछ भी हल यही तो मलाल है।

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Ms. Kshama Singh

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